Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2022 · 1 min read

नज़्म

नज़्म

कोई जरूरी तो नहीं कहा जाए,
पर आंखों में आंसू सजाया जाए।

तू गिला हूं मैं क्यूं पींऊ,
जाम तो आंखों से पिलाया जाए।

मेरे दिल में झील दरिया है समुंदर,
क्यूं खिंचे इसे बचाया जाए।

टुकड़ा जो पेट भूखे का भरे,
घणा बुरा नहीं है अगर वो चुराया जाए।

जिंदगी दांव पर लगी है मेरी,
तो चलो ठीक है इसे हराया जाए ।

जरूर रखना तू इतनी तेज आवाज,
हुकूमत को अगर सुनाया जाए।

बनता फिरता हूं मैं दर्पण आज,
यह दर्पण भी तुमको आज दिखाया जाए।

मस्जिद यहां है मंदिर भी यहां है,
भूखो को चलो आज कुछ खिलाया जाए ।

खान मनजीत भावड़िया लिख नज़्म,
उन भूखा नंगों और मेहनती इंसानों पर लिखा जाए।
©
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड तह गोहाना सोनीपत हरियाणा

Language: Hindi
183 Views

You may also like these posts

स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
स्त्री नख से शिख तक सुन्दर होती है...
पूर्वार्थ
जीवन का सार
जीवन का सार
MUSKAAN YADAV
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
सब धरा का धरा रह जायेगा
सब धरा का धरा रह जायेगा
Pratibha Pandey
उपकार हैं हज़ार
उपकार हैं हज़ार
Kaviraag
हुस्न की नुमाईश मत कर मेरे सामने,
हुस्न की नुमाईश मत कर मेरे सामने,
Buddha Prakash
"पापा की लाडली " क्या उन्हें याद मेरी आती नहीं
Ram Naresh
मिथिला के अमृत स्वर
मिथिला के अमृत स्वर
श्रीहर्ष आचार्य
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
जिनमें कोई बात होती है ना
जिनमें कोई बात होती है ना
Ranjeet kumar patre
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
दूर जाना था मुझसे तो करीब लाया क्यों
कृष्णकांत गुर्जर
मेरा  साथ  दे  दो आज  तो मैं बन  सकूँ  आवाज़।
मेरा साथ दे दो आज तो मैं बन सकूँ आवाज़।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
राजकुमारी
राजकुमारी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
*तृण का जीवन*
*तृण का जीवन*
Shashank Mishra
जिंदगी की राहों मे
जिंदगी की राहों मे
रुपेश कुमार
मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात
मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात
Dr MusafiR BaithA
भागवत गीता अध्याय 2: सांख्य योग
भागवत गीता अध्याय 2: सांख्य योग
अमित
रिश्तों की परिभाषा
रिश्तों की परिभाषा
Sunil Maheshwari
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
Virendra kumar
शून्य सा अवशेष मैं....!
शून्य सा अवशेष मैं....!
पंकज परिंदा
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
* भीतर से रंगीन, शिष्टता ऊपर से पर लादी【हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
पुराने साल को विदाई
पुराने साल को विदाई
Rekha khichi
।।
।।
*प्रणय*
- टूटते बिखरते रिश्ते -
- टूटते बिखरते रिश्ते -
bharat gehlot
‘मेरी खामोशी को अब कोई नाम न दो’
‘मेरी खामोशी को अब कोई नाम न दो’
सुशील भारती
ग़म
ग़म
Shutisha Rajput
दोहा सप्तक . . . . सावन
दोहा सप्तक . . . . सावन
sushil sarna
भैया  के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
भैया के माथे तिलक लगाने बहना आई दूर से
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गर्दिशें वक़्त पर ही होती है
गर्दिशें वक़्त पर ही होती है
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी से निकल जाने वाले
जिंदगी से निकल जाने वाले
हिमांशु Kulshrestha
Loading...