मालिक ये कैसा शहर है बसाया
जिधर देखो दर्दो तड़प जख्म आँसू
मालिक ये कैसा शहर है बसाया
कोई संगदिल है कोई तंगदिल है
हैवान कोई बेरहम दिल है
कैसे कैसे हैं इंसा ये तेरे खुदाया
घुटती सिसकती तड़पती फिजायें
मुफलिसी से घायल कराहती सदायें
क्यूँ इतनी दूर बैठा जो सुनने न पाया
भूखी नंगी प्यासी जिंदा बीमार लाशें
बूढ़ी पथराई सूनी डबडबाई आँखें
मरती हुई इनसानियत की काया
कभी देख मंदिर मस्जिद गिरजाघर से निकलकर
येरूसलम काबा काशी मक्के मदीने से बढ़कर
चंद ठेकेदारों ने क्या खूब बाजार है सजाया
M.Tiwari”Ayen” 9452184217