Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2021 · 4 min read

मापनी

मापनी

परिभाषा
किसी काव्य पंक्ति की लय को निर्धारित करने के लिए प्रयुक्त मात्राक्रम को ‘मापनी’ कहते है।
उदाहरणार्थ: ‘लेखनी की साधना है ब्रह्म की आराधना’ इस पंक्ति की मापनी है –
2122 2122 2122 212 (अंकावली)
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (लगावली)
जबकि लघु को 1 या ल से तथा गुरु को 2 या गा से प्रदर्शित किया गया है। यहाँ पर उल्लेखनीय है कि लिखने या टंकण करने की दृष्टि से अंकावली उत्तम है जबकि लय-बोध की दृष्टि से लगावली उत्तम है। इस कृति में लय-बोध को वरीयता देते हुए मुख्यतः लगावली का ही प्रयोग किया गया है। लय-बोध ही मापनी का मुख्य उद्देश्य है और इस उद्देश्य से इसे काव्य-साधक यथारूचि किसी भी रूप में व्यक्त कर सकते हैं, यथा-
टंटनाटन् टंटनाटन् टंटनाटन् टंटनन् (घंटे का स्वर)
ढंढनाढन् ढंढनाढन् ढंढनाढन् ढंढनन् (बर्तन गिरने का स्वर)
गूँगुटर्गूँ गूँगुटर्गूँ गूँगुटर्गूँ गूँगुटर (कबूतर का स्वर)
काँवकाँकाँ काँवकाँकाँ काँवकाँकाँ काँवकाँ (कौवे का स्वर)
सम्प्रति इस कृति में लगावली को वरीयता दी गयी है जिसमें लघु के लिए ल और गुरु के लिए गा का प्रयोग किया गया है। यह प्रयोग व्यावहारिक है क्योंकि इसमें लघु और गुरु शब्दों के प्रथमाक्षरों का प्रयोग होने से अर्थ ग्रहण करने में सुविधा रहती है और उच्चारण से सटीक लय-बोध होता है तथा यह प्रयोग शास्त्र-सम्मत भी है क्योंकि गणों के सूत्र यमाताराजभानसलगा में लघु और गुरु के लिए क्रमशः ल और गा का प्रयोग किया गया है।

मापनी के मुख्य प्रकार
मापनी मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
(1) वाचिक मापनी
इसमें वाचिक भार का प्रयोग किया जाता है जैसे मात्रिक छन्द गीतिका की सोदाहरण वाचिक मापनी निम्नवत है –
लेखनी की/ साधना है/ ब्रह्म की आ/राधना अथवा
हे प्रभो आ/नंददाता/ ज्ञान हमको/ दीजिए
2122 2122 2122 212 (अंकावली)
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (लगावली)
इसके किसी भी गुरु के स्थान पर उच्चारण के अनुरूप दो लघु का प्रयोग किया जा सकता है जैसे दूसरे उदाहरण में गुरु के स्थान पर ‘हम’ का प्रयोग है। वाचिक मापनी का उपयोग मुख्यतः मात्रिक छंद, मुक्तक, गीतिका, गीत, ग़ज़ल और अन्य छंदाधारित कविताओं में होता है।
(2) वर्णिक मापनी
इसमें वर्णिक भार का प्रयोग होता है जैसे वर्णिक छन्द सीता की वर्णिक मापनी निम्नवत है (मात्रिक छन्द ‘गीतिका’ वास्तव में वर्णिक छन्द ‘सीता’ का ही वाचिक रूप है) –
लेखनी की/ साधना है/ ब्रह्म की आ/राधना अथवा
2122 2122 2122 212 (अंकावली)
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (लगावली)
इसके गुरु के स्थान पर दो लघु का प्रयोग करने की छूट बिलकुल नहीं होती है, इसीलिए दूसरी पंक्ति को वर्णिक मापनी के उदाहरण में नहीं लिया जा सकता है। वर्णिक मापनी का उपपयोग मुख्यतः वर्णिक छंदों में होता है। मापनीयुक्त ‘वर्णिक छन्द’ को पारम्परिक छन्द शास्त्र में ‘वर्ण वृत्त’ कहते हैं। पारम्परिक छन्द शास्त्र में वर्णिक मापनी को गणों में विभाजित कर लिखा जाता है, यथा-
लेखनी/ की साध/ना है ब्रह्/म की आ/राधना/ अथवा
212 221 222 122 212 (अंकावली)
राजभा ताराज मातारा यमाता राजभा (गणावली)
रगण तगण मगण यगण रगण अथवा
र त म य र (पिंगल सूत्र)
इस कृति में लगावली को प्रायः स्वरकों में विभाजित किया गया है क्योंकि इससे लघु-गुरु वर्णों की आवृत्ति का समुचित आभास होता है और सहजता से लय-बोध हो जाता है तथापि जहाँ पर ये दोनों लाभ लक्षित नहीं होते हैं वहाँ पर गणावली को ही यथावत मान लिया गया है जिसको गणों में विभाजित किया गया है और इस प्रकार गणों को ही स्वरक मान लिया गया है। उपर्युक्त उदाहरण में मापनी के दोनों रूप लगावली और गणावली को देख कर स्पष्ट हो जाता है कि सीता छन्द को समझने के लिए गणावली की अपेक्षा लगावली अधिक उपयुक्त है जिसमें गालगागा की आवृत्तियाँ सुगमता से समझ में आ जाती हैं।

ध्यातव्य : सामान्यतः वाचिक और वर्णिक दोनों प्रकार की मापनियों को केवल ‘मापनी’ ही कहा जाता है और दोनों को लिखा भी एक ही प्रकार से जाता है किन्तु मात्रिक छन्द के संदर्भ में उसे ‘वाचिक मापनी’ और ‘वर्णिक छन्द’ के संदर्भ में उसे ही ‘वर्णिक मापनी’ मान लिया जाता है।

विन्यास पर आधारित वर्गीकरण
समान या भिन्न स्वरकों की आवृत्ति के आधार पर मापनी दो प्रकार की होती है- मौलिक मापनी और मिश्रित मापनी।
(क) मौलिक मापनी
एक ही स्वरक की आवृत्ति से बनने वाली मापनी को मौलिक मापनी कहते हैं। मुख्यतः गालगा, गालगागा, गालगाल, लगागा, लगागागा, ताराज, ताराजगा, लगाल, लगालगा, लगालगागा, ललगा, ललगालगा, गालल, गाललगा आदि स्वरकों की दो, तीन, चार, छः या आठ आवृत्तियों से विभिन्न मापनियाँ बनती हैं जो किसी न किसी छन्द का निरूपण करती हैं। उदाहरणार्थ गालगागा स्वरक से बनने वाली मात्रिक मापनियाँ और उनके आधार-छन्द निम्न प्रकार हैं-
(1) एक आवृत्ति से निर्मित
मापनी- गालगागा
आधार छन्द- वाचिक रंगी
(2) दो आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगागा गालगागा
आधार छन्द- मात्रिक मनोरम
(3) तीन आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा
आधार छन्द- मात्रिक सार्द्धमनोरम
(4) चार आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा
आधार छन्द- मात्रिक माधवमालती
(5) आठ आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा गालगागा
आधार छन्द- मात्रिक चतुर्मनोरम
इसी प्रकार गालगा स्वरक से बनने वाली मात्रिक मापनियाँ और उनके आधार छन्द निम्न प्रकार हैं-
(1) दो आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगा गालगा
आधार छन्द- वाविमोहा
(2) तीन आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगा गालगा गालगा
आधार छन्द- वामहालक्ष्मी
(3) चार आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा
आधार छन्द- वास्रग्विणी
(4) आठ आवृत्तियों से निर्मित
मापनी- गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा गालगा
आधार छन्द- वागंगोदक
इसी प्रकार अन्य स्वरकों से निर्मित मापनियों को समझा जा सकता है।

(ख) मिश्रित मापनी
भिन्न स्वरकों को मिलाने से बनने वाली मापनी को मिश्रित मापनी कहते हैं। कुछ मिश्रित वाचिक मापनियों और उनके आधार छन्द निम्न प्रकार हैं-
(1) मापनी- गालगा गालगा गालगा गा
आधार छन्द- वाबाला
(2) मापनी- लगागा लगागा लगागा लगा
आधार छन्द- शक्ति
(3) मापनी- गागालगा लगालगा
आधार छन्द- वानाराचिका
(4) मापनी- गालगागा ललगागा गागा
आधार छन्द- वाराभामागा
(5) मापनी- गालगागा गालगागा गालगा
आधार छन्द- आनंदवर्धक
(6) मापनी- लगागागा लगागागा लगागा
आधार छन्द- सुमेरु
(7) मापनी- गालगागा लगालगा गागा
आधार छन्द- पारिजात
(8) मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगागा
आधार छन्द- दिग्पाल
(9) मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगा
आधार छन्द- दिग्वधू
(10) मापनी- गागाल गालगागा गागाल गालगा
आधार छन्द- दिग्वधू
(11) मापनी- गालगाल गालगाल गालगाल गालगा
आधार छन्द- वाचामर
——————————————————————————————–
संदर्भ ग्रंथ – ‘छन्द विज्ञान’ चतुर्थ संस्करण, लेखक- आचार्य ओम नीरव, पृष्ठ- 376, मूल्य- 600 रुपये, संपर्क- 8299034545

Category: Sahitya Kaksha
Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 1615 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मर्यादा अब हो गई,
मर्यादा अब हो गई,
sushil sarna
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
Khaimsingh Saini
फौज
फौज
Maroof aalam
मज़दूर
मज़दूर
Neelam Sharma
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
*हर पल मौत का डर सताने लगा है*
Harminder Kaur
कहां जायेंगे वे लोग
कहां जायेंगे वे लोग
Abhishek Rajhans
डीजे
डीजे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
Raju Gajbhiye
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
मोहब्बत का हुनर
मोहब्बत का हुनर
Phool gufran
789Club là một trong những nền tảng cá cược trực tuyến hàng
789Club là một trong những nền tảng cá cược trực tuyến hàng
789clubshow
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
Basant Bhagawan Roy
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
क्या है परम ज्ञान
क्या है परम ज्ञान
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी
*मन में शुचिता लेकर पूजो, विद्या की देवी माता को (राधेश्यामी
Ravi Prakash
जनरल नॉलेज
जनरल नॉलेज
कवि आलम सिंह गुर्जर
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
'तिमिर पर ज्योति'🪔🪔
पंकज कुमार कर्ण
सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
2683.*पूर्णिका*
2683.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गीत- उसे सच में नहीं पहचान चाहत और नफ़रत की...
गीत- उसे सच में नहीं पहचान चाहत और नफ़रत की...
आर.एस. 'प्रीतम'
झूठी मुस्कुराहटें
झूठी मुस्कुराहटें
Krishna Manshi (Manju Lata Mersa)
ఇదే నా భారత దేశం.
ఇదే నా భారత దేశం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
📝अवसर हमारे आस पास है बस सतर्क रहिये...♥️✨
📝अवसर हमारे आस पास है बस सतर्क रहिये...♥️✨
पूर्वार्थ
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
VINOD CHAUHAN
सौ कार्य छोड़कर भोजन करे, हजार कार्य छोड़कर स्नान। लाख कार्य छ
सौ कार्य छोड़कर भोजन करे, हजार कार्य छोड़कर स्नान। लाख कार्य छ
ललकार भारद्वाज
रंगों में भी
रंगों में भी
हिमांशु Kulshrestha
नादान था मेरा बचपना
नादान था मेरा बचपना
राहुल रायकवार जज़्बाती
मुक्तक
मुक्तक
संतोष सोनी 'तोषी'
दिव्य भाव
दिव्य भाव
Rambali Mishra
Loading...