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23 Jul 2021 · 1 min read

गिरेबान

लोग गैरों पर तो उंगली उठाते है ,
मगर अपना गिरेबान नही देखते है ।

अपना गुनाह देखने की फुर्सत नही ,
गैरों के लिए तो वक्त निकाल लेते है ।

उनको गर कोई दिखाना चाहे आईना ,
तो आईने को तोड़ने पर आमदा होते है ।

खुद को वो समझते है दूध का धुला,
गैरों को मैल से भरा हुआ समझते है ।

उन पर उठती खुद की तीन उंगलियां ,
गर वो एक भी उंगली गैरों पर उठाते है ।

मगर ये राज वो कहां जानते है क्योंकि ,
अपनी ओर मुड़ी उगलियां नहीं देखते है !

खुदा ने कुछ सोचकर ये निजाम बनाया,
मगर यह इंसानों के गुरुर कहां समझते है ।

गुरुर कभी भी अपनी ओर नहीं देखता ,
तभी आईने को लोग खुद से दूर रखते हैं।

गैरों के दोष देखने से पहले खुद का देखे ,
ऐसे इंसान ही “ए अनु” फरिश्ते होते है ।

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