बुंदेली दोहे- डुबरी
बुंदेली दोहे बिषय-डुबरी
1
डुबरी,मुरका अरु लता,
बुंदेलों की शान।
बिजी,बेर, महुआ,चना,
बुंदेली पहचान।।
***
2
डुबरी महकें भौतई,
देख भूख बढ़ जात।
खाबे कौ माने नई,
देख लार टपकात।।
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3
डुबरी डुक्को खात है,
बड़े चाव से आज।
खातन ताकत मिल गयी,
कर रइ घर के काज।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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(मौलिक एवं स्वरचित)