Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

तन्हा

कब से तन्हा हूँ
इस सूने खंडहर की तरह
सदियों से जीर्ण-शीर्ण
इमारत की तरह
न कोई आता है न जाता है
कुछ जंगली बेलें उगी हुई हैं
ज़िंदगी के नाम पर
या कभी कभार
कोई परिंदा पंख फड़फड़ाता है
कोनों में सुबकती तनहाइयाँ
कभी-कभी आपस में बतियाती हैं…
©️कंचन”अद्वैता”

105 Views
Books from Kanchan Advaita
View all

You may also like these posts

पीठ पर लगे घाव पर, मरहम न लगाया मैंने।
पीठ पर लगे घाव पर, मरहम न लगाया मैंने।
श्याम सांवरा
बसंत
बसंत
Bodhisatva kastooriya
गाँव इतना छोटा है
गाँव इतना छोटा है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कितना अच्छा था बचपन
कितना अच्छा था बचपन
shabina. Naaz
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
यह कैसी आस्था ,यह कैसी भक्ति ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
आजकल वो मेरी जगह किसी और को पुकारने लगे हैं,
आजकल वो मेरी जगह किसी और को पुकारने लगे हैं,
Jyoti Roshni
कभी-कभी कई मुलाकातों के बावजूद भी किसी से प्रेम नहीं होता है
कभी-कभी कई मुलाकातों के बावजूद भी किसी से प्रेम नहीं होता है
पूर्वार्थ
मेरे घर के दरवाजे
मेरे घर के दरवाजे
Minal Aggarwal
***इतना जरूर कहूँगा ****
***इतना जरूर कहूँगा ****
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
स्वागत है  इस नूतन का  यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मां
मां
Uttirna Dhar
ज़रूरत से ज़्यादा
ज़रूरत से ज़्यादा
*प्रणय*
खूब तमाशा हो रहा,
खूब तमाशा हो रहा,
sushil sarna
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
दुःख में स्वयं की एक अंगुली
Ranjeet kumar patre
2581.पूर्णिका
2581.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
******** कुछ दो कदम तुम भी बढ़ो *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
Neelofar Khan
अगर जल रही है उस तरफ
अगर जल रही है उस तरफ
gurudeenverma198
"इश्क"
Dr. Kishan tandon kranti
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
Nitin Kulkarni
शीर्षक – वो कुछ नहीं करती हैं
शीर्षक – वो कुछ नहीं करती हैं
Sonam Puneet Dubey
ज़िन्दगी  कुछ  नहीं हक़ीक़त में,
ज़िन्दगी कुछ नहीं हक़ीक़त में,
Dr fauzia Naseem shad
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
दूसरे में गलती ढूंढने के बजाय हमें स्वयं के अंदर खोज करना चा
दूसरे में गलती ढूंढने के बजाय हमें स्वयं के अंदर खोज करना चा
Ravikesh Jha
- सौदेबाजी -
- सौदेबाजी -
bharat gehlot
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
Buddha Prakash
शिक्षा अर्थ रह गई
शिक्षा अर्थ रह गई
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
नारी
नारी
Rambali Mishra
Loading...