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26 Jul 2024 · 1 min read

मेरे अंतर्मन की पीड़ा

ना समझ पाओगी,
ना जान पाओगी
मेरे अंतर्मन की पीड़ा, को तुम ।
ना पहचान पाओगी ।।

हँसती हो,
खुश रहती हो ।
ये जानकार भी,
चुप रहती हो,
मेरे अंतर्मन की पीड़ा ।।

अभी अंजान हो तुम,
मेरे इस गम से ।
जब जान जाओगी,
तब मान जाओगी ।
मेरे अंतर्मन की पीड़ा,
को भी पहचान जाओगी ।।

लेखक :– मन मोहन कृष्ण
तारीख :– 26/04/2020
समय :– 12 : 15 ( रात्रि )

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