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2 May 2021 · 1 min read

वेदना ही वेदना उपहार बा (भोजपुरी ग़ज़ल)

वेदना ही वेदना उपहार बा……!!
_______________________________
आज दुविधा में सकल संसार बा।
वेदना ही वेदना उपहार बा।

का कही कइसे कहीं मन के कसक,
देख लीं हर आदमी लाचार बा।

मौत के तांडव चलल सगरो इहां,
आदमी भय से अधिक बेमार बा।

लोर से अँखियाँ भइल लबरेज़ अब,
दीप आसा के बुझल अँधियार बा।

शोध में लागग जगत के लोग सब,
पर दवाई ही मिलल दुस्वार बा।

दूर हो संकट सबे चाहत इहाँ,
किन्तु सब अनभिज्ञ का उपचार बा।

‘शुक्ल’अब जीवन फँसल मझधार में,
बस विधाता के लगे पतवार बा।

✍️ पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण, बिहार

2 Likes · 1 Comment · 948 Views
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