Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2020 · 1 min read

मुंतज़िर

जिंदगी के इस सफर में मुझे सबने संगे राह समझा,
मुझे ठोकर देखकर गुजरते रहे मैं सब कुछ सहता रहा,

फर्ज़ से मजबूर ,जज़्बातों से मा’ज़ूर मैं कुछ ना कह सका,
खुदगर्ज़ी के इस दौर में अहद -ए-वफ़ा निभाता रहा ,

अपनों की ख़ातिर दिल के अरम़ानों को कुर्ब़ान करता रहा,
हम़दर्दी का मुंतज़िर मैं इस सफ़र में ये आस जगाए बढ़ता रहा ,

कोई हो जो जान सके मुझमें पैव़स्त मेरे दर्दे ए़हसास को,
जो समझ सके मुझ जैसे संगे राह बने पामाल इंसां को ,

6 Likes · 12 Comments · 612 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
हकीकत
हकीकत
P S Dhami
व्यंजन
व्यंजन
डॉ.सतगुरु प्रेमी
"पवित्रता"
Dr. Kishan tandon kranti
56…Rajaz musaddas matvii
56…Rajaz musaddas matvii
sushil yadav
रहस्य
रहस्य
Rambali Mishra
जिस दिन से बिटिया रानी - डी के निवातिया
जिस दिन से बिटिया रानी - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
तिलिस्म
तिलिस्म
Dr. Rajeev Jain
તારા આ ટૂંકા જવાબ
તારા આ ટૂંકા જવાબ
Iamalpu9492
#आजकल
#आजकल
*प्रणय प्रभात*
11 .अंधेरा उजाला
11 .अंधेरा उजाला
Lalni Bhardwaj
मदिरालय
मदिरालय
Kaviraag
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
Rituraj shivem verma
दूरी सोचूं तो...
दूरी सोचूं तो...
Raghuvir GS Jatav
कुछ बातें हमें वक्त पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि  खुद  ही वह व
कुछ बातें हमें वक्त पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि खुद ही वह व
DR. RAKESH KUMAR KURRE
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ?
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हारा मन दर्पण हो,वत्स
तुम्हारा मन दर्पण हो,वत्स
Arun Prasad
एक उम्र बहानों में गुजरी,
एक उम्र बहानों में गुजरी,
पूर्वार्थ
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर  मौन  प्रभात ।
पलक झपकते हो गया, निष्ठुर मौन प्रभात ।
sushil sarna
निर्मेष के दोहे
निर्मेष के दोहे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
ख्याल (कविता)
ख्याल (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
नैया फसी मैया है बीच भवर
नैया फसी मैया है बीच भवर
Basant Bhagawan Roy
शुकून भरा पल
शुकून भरा पल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शक्ति
शक्ति
Mamta Rani
फर्क केवल हमे तर्क से पड़ता है नही तो ये अंधविश्वास बेड़ागर्
फर्क केवल हमे तर्क से पड़ता है नही तो ये अंधविश्वास बेड़ागर्
Rj Anand Prajapati
स्वामी विवेकानंद जी ने सत्य ही कहा था कि
स्वामी विवेकानंद जी ने सत्य ही कहा था कि "एक हिन्दू अगर धर्म
ललकार भारद्वाज
देखा प्रिय में चांद को, ज्यों ही हटा नकाब
देखा प्रिय में चांद को, ज्यों ही हटा नकाब
RAMESH SHARMA
खेल था नसीब का,
खेल था नसीब का,
लक्ष्मी सिंह
वर्दी (कविता)
वर्दी (कविता)
Indu Singh
4138.💐 *पूर्णिका* 💐
4138.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Loading...