काले रंग
मेरे काले रंग पर, तरकस कसते रोज़ ।
ये लो दर्पण देख लो, तुम में कितना ओज़।। १
काले गोरे रंग में, क्यों करते हो भेद ।
अंतर मन से सोचिये, होगा खुद से खेद ।।२
भरी हुई है गंदगी, भरा हुआ मन रोग।
केवल तन को देखते,मन के भद्दे लोग||।। ३
काले गिरधर श्याम थे, काले थे श्री राम ।
काले ने जग में किया, अपना ऊँचा नाम ।। ४
जग में काले रंग को, मत करना बदनाम।
नफरत कालाे से नहीं, छोडो़ काला काम।। ५
-लक्ष्मी सिंह