Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2020 · 2 min read

नवरात्रि के नवरूप माँ के

विधा-दोहा
गीत
*********
नवरातों के पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।
व्रत रहके पूजन सदा, करें भक्त गुणगान।

प्रथम दिवस में मातु की, करें भक्त सम्मान।
शैलसुते का कर रहे, जग में सब गुणगान।
बैल सवारी आपकी, पुष्प शुशोभित हाथ
अस्त्र विराजे हाथ में, अर्ध चन्द्र है माथ
जो ध्यावैं नर माँ तुझे, करतीं हो कल्यान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

नवराते का दूसरा, देवी ब्रम्हस्वरूप।
पात्र शुशोभित हाथ में, माता रूप अनूप।
करें अपर्णा व उमा, सतरूपा का ध्यान।
ब्रम्हचारिणी से सदा, मिलता सबको ज्ञान।
तपस्विनी है आचरण, करता जग गुणगान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

नवराते का तीसरा, माता तेज प्रताप।
मातु चंद्रघंटा तुम्हीं, करो मुझे निष्पाप।
सोहे तेरे अंग में, तीन-नेत्र दस हाथ।
दुष्टों को संहार कर, भक्तों का दे साथ।
दृष्टि डाल दो दास पर, आशिष करो प्रदान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

कुष्मांडा चौथा दिवस, करती रोग विनाश।
यश वैभव देती सदा, करती बुद्धि विकास।
तेरे दर्शन मात्र से, सदा रहे दुख मुक्त।
रोग विनाशिनि मातु को, ध्यावैं जो नर भक्त।
कुष्मांडा माता मुझे, दे दो नव उत्थान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

पंचम दिन नवरात्र का, नाम देवि स्कन्द
आयु वृद्धि में तुम सदा, फलदायी अत्यन्त
कमल पुष्प दो हाथ में, अजब निराली शान।
खुशियां भर देती सदा, करें मातु का ध्यान।
दे दो माँ निज चरण में, मुझको तुम स्थान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

नवरात्री का छठा दिन, नमन करूँ मैं मात।
कात्यायनि माँ के पिता , कात्यायन ऋषि तात।
दुष्ट जीवधारी तुम्हीं, करती देवी नाश।
हरती कष्टों को सदा, दर आये जो दास।
भोग लगे शुभ मातु का, सदा शहद अरु पान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

दिवस सातवाँ मातुका, कालरात्रि है नाम।
जो ध्याता है माँ तुम्हें, बनते उसके काम।
गले मातु के है सदा, पड़ी मुण्ड की माल।
रँग है काला मातु का, नैना जैसे ज्वाल।
जो साधक ध्यावैं तुझे, वो न रहे अज्ञान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

दिवस आठवां मातु का, करती माँ उद्धार।
महागौरि जी मातु के, जाता जो दरवार।
चार भुजा हैं मातु की, डमरू है इक हाथ।
एक हाँथ तलवार है,कर मुद्रा भी साथ।
शरण मातु हूँ मैं सदा, रख के तेरा मान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

नवमी दिन नवरात्रि पर, लगे मातु जयकार।
सिद्धिदात्री मातु का, जग में है अधिकार।
आभूषण परिपूर्ण से, सजा मातु का अंग।
मुकुट शुशोभित सिर सदा, प्रियम बैंगनी रंग।
दे माँ दास”अदम्य”को, सुख ‘समृद्धि ‘सम्मान।
नवदुर्गा शुभ पर्व पर, कर लो माँ का ध्यान।

■अभिनव मिश्र”अदम्य”

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*खो गया  है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
*खो गया है प्यार,पर कोई गिला नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
222. प्रेम करना भी इबादत है।
222. प्रेम करना भी इबादत है।
मधुसूदन गौतम
जिंदगी और मौत (कविता)
जिंदगी और मौत (कविता)
Indu Singh
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
क्या? किसी का भी सगा, कभी हुआ ज़माना है।
Neelam Sharma
धर्म का पाखंड
धर्म का पाखंड
पूर्वार्थ
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
जो सबका हों जाए, वह हम नहीं
Chandra Kanta Shaw
🌹थम जा जिन्दगी🌹
🌹थम जा जिन्दगी🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
कलम सी है वो..
कलम सी है वो..
Akash RC Sharma
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
"और बताओ"
Madhu Gupta "अपराजिता"
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
सत्य कुमार प्रेमी
- तेरी मोहब्बत ने हमको सेलिब्रेटी बना दिया -
- तेरी मोहब्बत ने हमको सेलिब्रेटी बना दिया -
bharat gehlot
**विश्वास की लौ**
**विश्वास की लौ**
Dhananjay Kumar
3827.💐 *पूर्णिका* 💐
3827.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जय गणेश देवा
जय गणेश देवा
Santosh kumar Miri
सपने सुहाने
सपने सुहाने
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
बड़े ही खुश रहते हो
बड़े ही खुश रहते हो
VINOD CHAUHAN
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
शेखर सिंह
प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार आ कवि पं. त्रिलोचन झा (बेतिया चम्पारण जिला )
प्रसिद्ध मैथिली साहित्यकार आ कवि पं. त्रिलोचन झा (बेतिया चम्पारण जिला )
श्रीहर्ष आचार्य
🙅राष्ट्र-हित में🙅
🙅राष्ट्र-हित में🙅
*प्रणय प्रभात*
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
लपवून गुलाब देणारा व्यक्ती आता सगळ्यांसमोर आपल्या साठी गजरा
लपवून गुलाब देणारा व्यक्ती आता सगळ्यांसमोर आपल्या साठी गजरा
Kanchan Alok Malu
इक झलक देखी थी हमने वो अदा कुछ और है ।
इक झलक देखी थी हमने वो अदा कुछ और है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
Nhà cái 009 từ lâu đã trở thành điểm đến hấp dẫn cho nhiều n
Nhà cái 009 từ lâu đã trở thành điểm đến hấp dẫn cho nhiều n
Truong
मैंने बहुत कोशिश की,
मैंने बहुत कोशिश की,
पूर्वार्थ देव
मैं अपना यौवन देता हूँ !
मैं अपना यौवन देता हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
दोहावली
दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
बाळक थ्हारौ बायणी, न जाणूं कोइ रीत।
बाळक थ्हारौ बायणी, न जाणूं कोइ रीत।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आखिर क्यों सबको भरमाया।
आखिर क्यों सबको भरमाया।
अनुराग दीक्षित
Loading...