आज़ाद गज़ल
दिल लगाने की बात न कर
इस जमाने की बात न कर ।
कौन कब धोखा दे दे यहाँ
दोस्ताने की बात न कर
मेरी किस्मत में है ही नही
घर बसाने की बात न कर ।
भूल जाते हैं लोग खुदा
आजमाने की बात न कर ।
तेरी महफिल में हम भी तो हैं
उठ के जाने की बात न कर ।
रौशनी गर मंजूर नहीं
घर जलाने की बात न कर ।
रूठ कर मैं जाऊँगा कहाँ
तू मनाने की बात न कर ।
-अजय प्रसाद