आज़ाद गज़ल
रौशनी अब चिराग मे कहाँ ?
खुशबू अब पराग मे कहाँ ?
उज़ड़ चुका है चमन सारा
फूल दिल के बाग मे कहाँ ?
धूल है सरकारी फाइलों पे
स्वच्छता हर विभाग मे कहाँ ?
दब गई है चिंगारियां राख मे
वो धधक अब आग मे कहाँ ?
जिस्म तक सीमित हो गई प्रेम
श्रद्धा,सेवा और त्याग मे कहाँ ।
मत ढूंढ अजय ईमानदारी यहाँ
अब ये शय दिलो-दिमाग में कहाँ ।
_AJAY PRASAD
TGT ENGLISH DAV PS PGC BIHARSHARIF ,NALANDA, BIHAR