Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

अनुपम उपहार ।

अनुपम उपहार ।

” ज्यों हो उपहार कोई अनुपम
यूँ आन मिले मुझसे प्रियतम
जीवन को नव आयाम मिले
जैसे सीता को राम मिले
हो पुण्य फलित दें अमित तोष
मिल गये उमा को आशुतोष
ऐसी होती अनुभूति नवल
ईश्वर ने वर दे दिये सकल “

Language: Hindi
186 Views
Books from अनुराग दीक्षित
View all

You may also like these posts

लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
लड़की किसी को काबिल बना गई तो किसी को कालिख लगा गई।
Rj Anand Prajapati
जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
Ruchi Sharma
कर्मों के परिणाम से,
कर्मों के परिणाम से,
sushil sarna
क्या सत्य है ?
क्या सत्य है ?
Buddha Prakash
3072.*पूर्णिका*
3072.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
शांति दूत
शांति दूत
अरशद रसूल बदायूंनी
"ख्वाहिशें"
Dr. Kishan tandon kranti
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
#परिहास
#परिहास
*प्रणय*
बस हौसला करके चलना
बस हौसला करके चलना
SATPAL CHAUHAN
खाली पेड़ रह गए
खाली पेड़ रह गए
Jyoti Roshni
प्रकृति का दर्द
प्रकृति का दर्द
Abhishek Soni
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
The_dk_poetry
नारी
नारी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
जब प्रेम की अनुभूति होने लगे तब आप समझ जाना की आप सफलता के त
Ravikesh Jha
*आए ईसा जगत में, दिया प्रेम-संदेश (कुंडलिया)*
*आए ईसा जगत में, दिया प्रेम-संदेश (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इन्साफ की पुकार
इन्साफ की पुकार
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
दिन में रात
दिन में रात
MSW Sunil SainiCENA
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
शशि कांत श्रीवास्तव
नारी री पीड़
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
पर्यावरण संरक्षण का नारा
पर्यावरण संरक्षण का नारा
Sudhir srivastava
बासठ वर्ष जी चुका
बासठ वर्ष जी चुका
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कर मुक्त द्वेष से खुदको
कर मुक्त द्वेष से खुदको
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मन से हरो दर्प औ अभिमान
मन से हरो दर्प औ अभिमान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
Phool gufran
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
जय लगन कुमार हैप्पी
शरद सुहानी
शरद सुहानी
C S Santoshi
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
कवि रमेशराज
Loading...