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3 May 2024 · 1 min read

तुम भी जनता मैं भी जनता

लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री
विषय आप और आपका मतदान
भाषा हिंदी
शीर्षक तुम भी जनता मैं भी जनता

विद्या काव्य लेखन

तुम भी जनता मैं भी जनता
नाम कहीं न आयेगा

तेरी मेरी कौन सुनेगा तुरंत निकाला जायेगा।
तेरी मेरी औकात क्या ।

मानव नरमुंडों बिखरे पड़े हैं हर जगह, फिर तेरी मेरी बात क्या ।

झूठा वादा किया जाएगा डेमोक्रेसी के उत्सव में।

काम निकल जाएगा तो दुत्कारा तू ही जायेगा उत्सव में।

जश्न मनाएँगी करेंगी सभी पार्टीया भर कर जाम पर जाम लगाएंगे,
उस सफ़लता के उत्सव में।

जिक्र तुम्हारा कहीं न होगा उस आनन्द के उत्सव में।

दूध की मक्खी कान पे मच्छर जैसा दुत्कारा तू जायेगा।

तुम भी जनता मैं भी जनता* जनता ही रह जायेगा,
नाम कहीं न आयेगा।

नेता घूमें बड़ी बड़ी गाड़ी में एयरकंडीशन जिसमें होता है,

गर्मी सर्दी वर्षा धूप के मौसम का इंतज़ाम सभी ही रहता है।

तेरी मेरी बात समझ ले कोई नहीं दोहराएगा।

दूध की मक्खी कान पे मच्छर जैसा दुत्कारा तू जायेगा।

सेलीब्रेट करेंगी सभी पार्टी भर कर जाम पर जाम लगाएंगे,
उस सफ़लता के उत्सव में।

जिक्र तुम्हारा कहीं न होगा उस आनन्द के उत्सव में।

जय जय कार होएगी सबकी आंखें खोल के चलना भाईयो
दुत्कारा तू जायेगा।

तुम भी जनता मैं भी जनता जनता ही रह जायेगा इस उत्सव में।

सेलीब्रेट करेंगी सभी पार्टी भर कर जाम पर जाम लगाएंगे,
उस सफ़लता के उत्सव में।

जिक्र तुम्हारा कहीं न होगा उस आनन्द के उत्सव में।

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