*मां*तरसती है
वह समय
जब बाल्यकाल था
गोद मां की भाती थी
आज
वयता
हिल्लौरमार रही है
तुम पर
चेहरे तुम्हारे
देखने को
मां तरसती है
ऐसे कुपुत्र पुत्रों को
किस नाम से
पुकारू
मेरी तो लेखनी से
चिंगारी बरसती है|
राजेश व्यास “अनुनय”
वह समय
जब बाल्यकाल था
गोद मां की भाती थी
आज
वयता
हिल्लौरमार रही है
तुम पर
चेहरे तुम्हारे
देखने को
मां तरसती है
ऐसे कुपुत्र पुत्रों को
किस नाम से
पुकारू
मेरी तो लेखनी से
चिंगारी बरसती है|
राजेश व्यास “अनुनय”