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30 Jul 2020 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

लगता है आपको बहुत लिख रहा हूँ
आप क्या जाने किस कदर रिस रहा हूँ ।
पढ़कर रचनाएँ आपको हँसी आती है
क्यों नहीं आपको चिन्तित दिख रहा हूँ।
हालात और हसरत दो चक्की है दोस्तों
बीच में जिनके आजकल मैं पिस रहा हूँ ।
शक़ जिन्हें मेरी काविलीयत पर है यारों
बनके घाव नासूर उन्हें बहुत टीस रहा हूँ ।
तुम न अजय बड़े कमअक़्ल इन्सान हो
साफ क्यों नहीं कहते कलम घिस रहा हूँ
-अजय प्रसाद

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