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24 Apr 2024 · 1 min read

"असलियत"

“असलियत”
आशाएँ कभी मरती नहीं, बस दुबक कर बैठ जाती है मन के किसी कोने में। जरा सी झिरी पाई कि सिर उठाने लगती है।

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