"असलियत"
“असलियत”
आशाएँ कभी मरती नहीं, बस दुबक कर बैठ जाती है मन के किसी कोने में। जरा सी झिरी पाई कि सिर उठाने लगती है।
“असलियत”
आशाएँ कभी मरती नहीं, बस दुबक कर बैठ जाती है मन के किसी कोने में। जरा सी झिरी पाई कि सिर उठाने लगती है।