आज़ाद गज़ल
ढाक के तीन पात मैं नहीं लिखता
दिल के खयालात मैं नहीं लिखता ।
आँखो से उतर आती है कागज़ पे
सपनों की सौगात मैं नहीं लिखता ।
न आंखे झील सी हैं न चेहरा कंवल
हुस्न के हालात मैं नहीं लिखता ।
बेवफाई,जुदाई हरज़ाइ या गमेइश्क़
घिसे-पिटे ज़ज्बात मैं नहीं लिखता ।
सुन ले अजय कुछ ज्यादा हो गया
मत कहना दिन रात नहीं लिखता ।
-अजय प्रसाद