सावन पर दोहे सप्तक
सावन आया झूम के,सखियाँ झूला झूल।
रिमझिम वर्षा हो रही,सखी गयीं सब भूल।
शिव विवाह संपन्न हो,,हरियाली में मीत।
निर्जल व्रत पूजन करें,सखियाँ गायें गीत।
ताल तलैया भर उठे, हुई सुखद अनुभूति।
तन भीगा मन बावरा, हरि से ऐसी प्रीति।
हरियाला मौसम हुआ,सावन आया मीत।
मन उमँग से भर उठा,राग मेघ की जीत।
साथी बिन सावन मने, कैसे गायें गीत।
व्रत पूजन कैसे करूं, बिन तेरे मनमीत।
भारत माँ की आन को ,रखना तुम महफूज।
हरियाली की तीज में,मां की रखना सूझ।
झूले सूने रह गये,बिन तेरे मनमीत।
कोयल अब गूँगी हुई,चातक सा संगीत।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम