sp23 गीत ऋषि गोपाल दास नीरज जी को समर्पित
sp23 गीत ऋषि गोपाल दास नीरज जी को समर्पित
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शाश्वत दोहे देकर गए गीतों के दरवेश
स्मृतियां का कारवां छोड़ गए किस देश
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वो गीतों के राज कुंवर थे गजलों के सरताज
जागृत हो जाती है सुधियाँ सुनकर वो आवाज
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मन के सूफी संत थे वह देते थे अद्भुत ज्ञान
सुनकर उनके गीत किया हमने गंगा स्नान
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उनसे जुड़ने का मिला हमको भी सौभाग्य
गीत ऋषि के आशीष से जाग गया था भाग्य
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उनके मंचों पर संचालन बड़े गर्व की बात
समय हमें देकर गया यही बड़ी सौगात
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वह कलम की धार थी शाश्वत सृजन करती रही
चांद सूरज के ग्रहण को भी नमन करती रही
दोपहर तपती हुई या भोर अलसाई हुई
उनको अंधेरी रात में दीपक बना जलती रही
गीत ऋषि का साथ पाया काव्य का दीपक जला
भोर होने तक तरन्नुम गीतिका चलती रही
अनवरत ही चल रहा जो सांस का बाकी सफर है
जानता कोई नहीं भी क्या उजालो की डगर है
कारवां तो चल रहा है और चलता ही रहेगा
कब तलक जाने मुसाफिर धूप में जलता रहेगा
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब