Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
26 Aug 2024 · 1 min read

कसक

आओ मन की कसक मिटायें।
नहीं कसक को घाव बनाएं।।
भला नहीं कुछ होने वाला।
कसक कष्ट है देने वाला।।

कसक रुलाती हमें बहुत है।
सदा सताती हमें बहुत है।।
आओ मिल कर कसक कटाएं।
मन की कटुता दूर भगाएं।।

दुनिया खिल्ली उड़ा रही है।
इतनी तो कब कसक बड़ी है।।
अपनी इज्जत नहीं गँवाओ।
बड़े प्यार से कसक मिटाओ।।

वक्त एक सा कब रहता है।
सुख दुख आखिर कब जीता है।।
कसक कहाँ है इतनी भारी।
हुई आपको इतनी प्यारी।।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Loading...