आज़ाद गज़ल
केवल चाह लेने से किसी का बुरा नहीं होता
जो हक़ीक़त में है वो कभी झूठा नहीं होता ।
लाख कोस ले कोई किसी को उम्र भर यारों
कुछ भी याँ रब की मर्ज़ी के बिना नहीं होता ।
खुदगर्जी खुश रहती खुशामद पा कर बेहद
और खुद्दारी कभी किसी पे टिका नहीं होता ।
राहें बदल दे जो हर ठोकर पर दौर-ए-सफ़र
और कुछ भी हो किसी का रहनुमा नहीं होता ।
झेलने पड़ते हैं न जाने क्या-क्या सितम यहाँ
आसानी से कोई पीर,पैगंबर,मसीहा नहीं होता ।
-अजय प्रसाद