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11 Jul 2020 · 1 min read

देखभाल

मुझको धीमी आवाज़ मे
बात करता देख
तुम्हारे कान
किचन से दौड़कर
बैडरूम के दरवाजे पर आकर
ठिठके,
और दरवाजे से जा चिपके

दबाव बनने पर दरवाजा
हल्की आवाज़ के साथ खुला
अब आंखे भी फैलकर
अंदर आ गयी।

मैंने जब हाथ हिलाकर
चुप रहने का इशारा किया

तो तुम खड़ी रही।

मैंने भी अब फ़ोन रख दिया
और तुम्हारी आँखों के
उठ रहे सवालों को कहा

अरे, दोस्त का फ़ोन था।

कमबख्त गालियां दे रहा था
किसी बात पर।

तुम थोड़ा सहज तो हुई।

पर पूरी तसल्ली
के लिए तुम्हारी
खोजबीन जारी रहेगी।

घर की चीज़ों की
देखभाल मे
आज भी तुम्हारा
कोइ जवाब नही।

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