*”पावस ऋतु “*
“पावस ऋतु”
मेघदूत का आगमन,
सुखद लगे संसार।
कोयल कूके डाल पर ,
शीतल पवन फुहार।।
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पावस ऋतु की कामना,
धरा अंबर नीर।
मन मयूर नाचन लगे ,
मिटे जग की पीर।।
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बरसो मेघा झूम के,
झूमे सारा जहान।
सरिता में लहरें दिखे,
पावस ऋतु का गान।।
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पावस मेघ बरसते ,
झूला झूले नार।
सारी सखियां सज गई,
गाती वो मल्हार।।
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उमड़ घुमड़ गरजे मेघ,
घनघोर घटा छाए।
आसमान में लालिमा ,
मन हर्षित हो जाए।।
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जय श्री राम जय जय हनुमान जी