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12 Jun 2020 · 5 min read

भारत में क्यों हो रहे भूकंप के लगातार झटके ?

जम्मू-कश्मीर में 9 जून 2020 की सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.9 बताई गई है। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है और न ही जान माल की हानि की सूचना है। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने बताया कि भूकंप के झटके सुबह आठ बजकर 16 मिनट पर महसूस किए गए। विभाग का कहना है कि भूकंप का केंद्र श्रीनगर से 14 किलोमीटर उत्तर एवं गांदरबल से 7 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में था। ध्यातव्य है, अप्रैल 2020 से दिल्ली और एनसीआर में भी भूकंप के झटके लगातार महसूस किए जा रहे हैं, जो कि 8 जून 2020 तक 12 बार महसूस किए गए। दिल्ली के अलावा हरियाणा के रोहतक में भूकंप के झटके महसूस किया गया। इसी 8 जून को रोहतक में 11 बजकर 55 मिनट यानी दोपहर में भूकंप के झटके महसूस किए गए । राजधानी दिल्ली और हरियाणा में महसूस किए गए भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.1 थी। इसके साथ ही बीते दिनों झारखंड और कर्नाटक में भी भूकम्पीय झटके महसूस किए।

राजस्थान के उदयपुर में 8 जून के अपराह्न 3.12 बजे भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए । रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.5 रही। हिरणमगरी, रेती स्टैंड, गोवर्धनविलास, सवीना,अंबामाता, भूपालपुरा, देवाली, फतहपुरा, बड़गांव सहित कई जगह हल्का कंपन महसूस किया गया। इससे कई लोग घरों से बाहर निकल आए। भूवैज्ञानिक प्रो. गोविंद सिंह भारद्वाज के अनुसार रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 2.5 रही और इसका केंद्र उदयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर उत्तम-पश्चिम में यानी राजसमंद क्षेत्र में रहा है। प्रो. भारद्वाज ने बताया कि हिंद महासागर के तल में ट्रिपल जंक्शन पर जमीन के अंदर दरारों से लावा के बहाव की मात्रा बढ़ गई है। जिससे भारतीय उपमहाद्वीप उत्तर दिशा की ओर खिसक रहा है। इसकी गति भी बढ़ रही है, जिससे पृथ्वी में जो पुरानी दरार हैं वहां ऊर्जा का एकत्रीकरण हो रहा है। यह ऊर्जा जमीन के अंदर चट्टानों की परतों का सेटलमेंट कर रही है। उस कारण भूकम्प आ रहे हैं। यह ऊर्जा थोड़े थोड़े झटके के रूप में बाहर निकलने से फिलहाल भूकंप से बड़े नुकसान होने की संभावना कम बन रही है। इसको देखते हुए फिलहाल उदयपुर सुरक्षित है। वर्तमान में भूकंप की दृष्टि से भारत में सबसे संवेदनशील दिल्ली एनसीआर है। जिनका भूवैज्ञानिक निरंतर अध्ययन कर रहे हैं।

देश में एक तरफ कोरोना वायरस से सामुदायिक संक्रमण का खतरा जस की तस है, तो वहीं दूसरी तरफ लगातार आ रहे भूकंपीय झटकों ने सभी लोगों को डरा कर रख दिया है । लोगों को समझ में नही आ रहा है कि घर में सुरक्षित हैं या फिर घर के बाहर। भूकंप के झटकों से जब सभी लोग घरों के बाहर आ रहे है तो ऐसे में कोरोना के संक्रमण फैलने का भी लोगों में डर है। लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों की भी स्पष्ट राय नहीं है । भूकंप विशेषज्ञ सभी को भूकंप से सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये छोटे भूंकंप बड़े भूकंप की घटना को न आने दे रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि बार बार आ रहे छोटे भूकंप किसी बड़े भूकंप आने की सूचना तो नहीं ! अस्पष्ट जानकारी से ही कयास गढ़ी जाती है !

विकिपीडिया के अनुसार, भूकम्प या भूचाल पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल व लिथोस्फ़ीयर में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकंपीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकंपमापी यंत्र से किया जाता है, जिसे सीस्मोग्राफ कहा जाता है। एक भूकंप का आघूर्ण परिमाण को पारंपरिक रूप से मापा जाता है, इसे अप्रचलित रिक्टर परिमाण कहा जाता है । लिया जाता है। तीन या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है, जबकि 7 रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकेली पैमाने से किया जाता है। पृथ्वी की सतह पर भूकंप भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकंप उपरिकेन्द्र अपतटीय स्थति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सूनामी के प्रसंगश: भी है। भूकंप के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं।

मोबाइल फोन के 2 सिम्पल सेट में एक को हम साउंड वाइब्रेशन में रखकर उसे पृष्ठ भाग के सहारे सपाट प्लास्टर की हुई बरामदे पर रखते हैं, दूसरे मोबाइल फोन से वाइब्रेशन वाले मोबाइल सेट पर फोन लगाते हैं, तो यह एन्टी-क्लॉक गति से घूमने का प्रयास करती है, वहीं मोबाइल के स्क्रीन साइड को सपाट प्लास्टर की हुई जमीन पर रखकर दूसरे मोबाइल से उसपर फोन करते हैं, तो उस पर फोन आने पर यह क्लॉक की दिशा में घूमने का प्रयास करते है । इससे भी स्पष्ट है कि भूकम्प (जमीन पर रखे मोबाइल का हिलना) का कारण अन्य पिंड (हाथ में रखी हुई मोबाइल सेट) के आकर्षण भी हो सकते हैं । भूकम्प का आगमन मोबाइल पर असमय कॉल आने जैसा है ! यह विस्मित करनेवाली बात है कि भूकम्पीय झटके के समय एक मोबाइल सेट से दूसरे मोबाइल सेट पर कॉल नहीं जाते हैं, किन्तु एसएमएस का आवागमन आसानी से हो जाती है । धरती गोला या गोल नहीं है, क्योंकि ऋतु परिवर्तन के कारण स्पष्ट है कि यह अंडाकार हो सकते हैं । मैंने भी ‘भूकंप की भविष्यवाणी’ को लेकर शोध किया है, यह शोध राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला सभागार में सम्पादित अखिल भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2004 में प्रस्तुत और जमा की गई थी । इनमें यह बताया था कि एकबार एक ही समय में एक ही स्थान पर भूकम्प नहीं होती है, अपितु 360° कोणीय हिसाब से दो प्रतिलोम दिशाओं में भी होती है । जो महज पृथ्वी के अंदर की हलचल के कारण ही नहीं, अपितु बाहरी पिंडों के गुरुत्वाकर्षण कारणों से भी होती है। दुनिया के विभिन्न जगहों से सूचनाएँ इकट्ठे कर यह भी पता लगाया कि 13 जनवरी की 12 बजे रात्रि को दुनिया के किसी भी भाग भूकम्प आने की सूचना नहीं है। इनसे भी अत्यधिक जानकारी पाने के लिए मेरे रिसर्च पेपर का अध्ययन जरूरी है!

Language: Hindi
Tag: लेख
324 Views
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