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10 Jun 2020 · 7 min read

लॉकडाउन डायरी

दिसम्बर 2019
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मनुष्यों में जो रोगाणु और अब तो विषाणु एक-दूसरे-तीसरे-चौथे, फिर अनगिनत लोगों में प्रवेश कर दुनिया को हाहाकारी अवस्था में लाकर पटक दिए हैं, इस व्यथा-कथात्मक भ्रूण भले ही दशक पुरानी है, किंतु आरंभिक केस दिसम्बर 2019 में आयी, वो भी चीन के वुहान शहर से ! पता नहीं, चमगादड़ के जूठे खाये फलों को मनुष्यों द्वारा खाये जाने से या इस विषाणु के फैलने के कोई अन्य कारण रहे हों, दीगर बात है !

जनवरी 2020
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भारत में मध्य जनवरी 2020 से लोग ‘कोरोना’ नामक इस विषाणु से इंटरेस्टेड हुए ! चीन में इस महामारी से मरनेवालों की संख्या कई हजारों में हुई ! शुरुआत में अमेरिका ने इसे मजाक में लिया. इटली सहित योरोपीय देशों में यह वायरस खूब फैले ! इस महामारी को कोविड-19 नाम दिया गया, तो अमेरिका ने इसे ‘वुहान वायरस’ कहा.

फरवरी 2020
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जनवरी सप्ताहांत से पूरे फरवरी तक भारतीयों ने भी इस विषाणु को मजाक में लिये ! बिहार में नियोजित शिक्षकों ने तो असुविधा लिए न्यूनतम वेतन को लेकर मारे-चौमारे रहे, क्योंकि नियोजित प्रारंभिक शिक्षकगण 17 फरवरी से और नियोजित माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षकगण 25 फरवरी से ही हड़ताल में हैं. ऐसी दुस्थितियाँ लिए लगभग चार लाख परिवार बिहार में हैं, जो तीन माह से वेतन नहीं मिलने से पशोपेश में और अब परेशान हैं, क्योंकि सरकार ने कह दिया है- नो वर्क, नो पे ! अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फरवरी के अंतिम सप्ताह भारत की यात्रा पर आए, तो अन्य कारणश: दिल्ली में दंगे भी हुए ! शालीमार बाग में अनशन चर्चा में आई ! विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यू एच ओ ने ‘कोरोना आपदा’ को वैश्विक महामारी घोषित किया. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद के विदेश यात्राओं पर रोक लगाए !

मार्च 2020
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मार्च में होली पर लोग इस कारक् को हवा में उड़ाते हुए खूब गुलछर्रे उड़ाए, इसलिए लोग फगुआ के बोल चार किये, किंतु बासी मलपूवे का मजा नहीं ले पाए ! हालाँकि यह वायरस हवा में न होकर थूक, लार, कफ़ इत्यादि से निसृत होती हैं ! यूट्यूब चैनल ‘कुरा कचरा’ में कविता ‘बुरा ना मानो होली है’ के बहाने हिंदी में ‘कोरोना’ का जिक्र हुई, तो अलग से इसी चैनल ने हिंदी साहित्यकार डॉ. सदानंद पॉल की कविता ‘तुम मिस कौना नहीं, मिसेज कोरोना हो’ उनके ही स्वर में प्रसारित किया, जो कि हिंदी में ‘कोरोना’ पर पहली कविता है ! भारत में भी कोरोना वायरस जनित कोविड-19 को विपदा यानी ‘महामारी आपदा’ घोषित की गई. इसी बीच बिहार में इंटरमीडिएट और मैट्रिक परीक्षाओं की कॉपी जाँच, किंतु अपने-अपने संगठन के आह्वान पर हड़ताल पर गए शिक्षक कॉपी जाँच हेतु परीक्षक कैसे हो सकते हैं ? फिर जो टीचर कॉपी-जाँच में नहीं गए, उन्हें निलंबित कर दिया गया. होली भी खत्म हो चुकी और बासी मलपूवे व दहीबड़े खाने के लिए ये शिक्षक मौजू थे कि उन्हें नौकरी के निलंबन की चमाटी लग गई ! धीरे-धीरे राज्यों में स्कूल-कॉलेज, मॉल आदि बंद होने लगे ! राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश के प्रसंगश: 22 मार्च को ‘घरघुसकी’ लिए जनता कर्फ़्यू का एलान हो गया कि लोग पीएम के आह्वान पर शाम ताली, थाली, ड्रम, ढोल, घंटी, घंटा और शंख भी खूब बजाए. ‘जनता कर्फ़्यू’ रिहर्सल ही साबित हुआ, जब इसे पहलेपहल राज्य सरकारों ने 31 मार्च के लिए लॉकडाउन के प्रसंगश: बढ़ाये, तो प्रधानमंत्री ने सप्ताह के अंदर दूसरी बार राष्ट्र के नाम संदेश में 24 मार्च की 12 बजे रात्रि से 14 अप्रैल की 12 बजे रात्रि तक के लिए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिए यानी अपने ही घरों में लोग नजरबंद रहेंगे, सोशल डिस्टनसिंग लिए ! अगर किसी से बात करने की आवश्यकता पड़ी तो एक मीटर की दूरी लिए और मुँह पर जाबी, मास्क, गमछी या तौलिये लिए ! सिर्फ़ विशुद्ध खाद्य पदार्थों की दुकान ही खुली रहेगी, अनाउंसमेंट की गई ! ….हाथ को चेहरे तक न ले जाओ, न मुँह पर, न आँख पर यानी हाथ प्राय: साबुन-पानी, डेटॉल, हैंडवाश से धोते रहो… और यहीं से ‘अदृश्य दुश्मन’ के साथ लड़ाई शुरू हो गई ! वैसे खासकर मुझे चौक-चौराहों पर घूमने की आदत नहीं है, इसलिए मेरे लिए फायदा ही हुआ. इसी बीच मध्यप्रदेश में कांग्रेसनीत गठबंधन की सरकार कई दिनों की ड्रामे के बाद गिरी, तो भाजपानीत सरकार सोशल डिस्टेंसिंग में भी प्रतिस्थापित हुई ! गायिका कनिका कपूर भी रोगग्रस्त रहते हुए कई पार्टी अटेंड की, जिनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री भी सांसद पुत्र के साथ शामिल थी ! हिंदी साहित्यकार डॉ. सदानंद पॉल की “कोरोना चालीसा” को ‘मैसेंजर ऑफ आर्ट’ ने प्रकाशित की, तो उनके ही स्वर में यूट्यूब चैनल ने प्रसारित भी की। यह कोरोना पर पहली चालीसा रही! राशन दुकानकारों और सब्जी विक्रेताओं ने अधिक दामों में खाद्य-सामग्रियां बेचकर मुनाफाखोरी सहित कालाबाज़ारी में भी लग चुके हैं ! पुलिसिया पकड़-धकड़ पर ऐसी ‘खोरी’ कम हुई है ! सरकारी राशन दुकानदारों ने भी खूब बल्ले भाँजे, जब धड़े गए, तो राशन ढंग से आवंटित हुई !

अप्रैल 2020
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मैंने मार्च के अंतिम सप्ताह से चाय-नाश्ता छोड़ दिया, घर के सभी सदस्यों ने दिन में एकबार और रात में एकबार ही भोजन ले रहे ! पुरानी जांता-चक्की निकाली गई, उसी से दर्रे कर व पीसकर घांटा, घांटी, दलिया, खिचड़ी, बगिया, मक्के की रोटियां, सत्तू और सब्जी में सिर्फ़ आलू व सोयाबीन ही खाद्य के रूप में भोग लग रही, क्योंकि आर्थिक कड़की हावी होने लगी थी. वैसे सर्वोत्तम आहार ‘शाकाहार’ है ! चूँकि बाहर निकलना भी नहीं था, हड़ताल के कारण वेतन बंद थे, थोड़ी-बहुत जमापूँजी 26 किलोमीटर दूर एटीएम रहने के कारण रुपये निकासी संभव नहीं थी, क्योंकि सभी तरह के वाहन बंद थे ! बावजूद मेरे परिवारजनों ने मास्क बनाये और दान किये तथा प्रधानमंत्री की घोषणा से पूर्व ही सभी स्रोतों और मदों लिए डेढ़ लाख रुपये मूल्य की राशि और सामग्रियां वितरित किये। प्रश्न है, यह लॉकडाउन है या आपातकाल ! स्वतंत्रता सेनानी दादाजी ने इंदिरा गांधी के आपातकाल के बारे में बताए थे, किंतु तब ‘प्रेस’ और सरकार के विरुद्ध ‘वाक अभिव्यक्ति’ में भी सेंसरशिप थी, परंतु ऐसा नरेंद्र मोदी सरकार में अबतक नहीं ! ….पर मेरे घर तक अखबार आने बंद हो गए हैं. एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी भी 3 सालों से बंद पड़ी है. समाचार सुनने के लिए एक रेडियो है. हाँ, सोशल डिस्टेंसिंग के कारण धार्मिक स्थलों में भी जाने की मनाही रही । इसी बीच प्रधानमंत्री ने फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग किये कि कोरोना नामक अदृश्य दुश्मन के विरुद्ध भारतीय एकता प्रदर्शित करने के लिए लोग 5 अप्रैल रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर की सभी बत्तियों को बुझाकर घर के दरवाजे या मकान की बालकनी पर दीये, मोमबत्ती, टॉर्च या मोबाइल के फ़्लैशलाइट जलाएं, किंतु सोशल डिस्टेंसिंग यानी कम से कम एक मीटर की दूरी में रहकर ही ! राष्ट्रीय एकता सचमुच में प्रदर्शित हुई, वो भी जमकर ! लोग इसके साथ ही घंटी, शंख भी बजाए, तो अतिरेक भावना में बहकर व जोश में आकर पटाखे भी खूब छोड़े ! कुछ दिनों से बंद हुई प्रदूषण प्रकट भए ! नदियाँ भी हो चुकी थी निर्मल, किंतु बिहार के कई चैती छठव्रतियों ने सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर नदियों में सामूहिक स्नान की, तो उधर दिल्ली के तब्लीगी मरकज़ में सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन ने ऐसी जमघट की कि वहाँ उपस्थित कोरोना प्रभावित लोगों ने घर-घर वापसी कर देशभर में न केवल रोगियों की संख्या बढ़ाई, अपितु वे रोगी और उनसे सटे व प्रभावित लोग ‘मरघट’ तक पहुंच गए ! हिंदी धर्मावलम्बियों के त्योहार रामनवमी, मुस्लिम बंधुओं के त्योहार शबेबरात, जैन धर्म की महावीर जयंती, ईसाइयों के त्योहार और सिख समाज की बैशाखी पर्व भी लोगों के घर पर ही सोशल डिस्टेंसिंग में मनी ! भूख, रूमरेंट और घर-परिवार की यादें ने मजदूरों को और भी विचलित कर गए, जिसने लॉकडाउन का उल्लंघन कर बैठे ! वहीं किसानों को राहत मिली कि फसलों की कटाई, ढुलाई और बिक्री कर सकते हैं, बशर्त्तें खेत-खलिहानों और गोदामों में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो ! इसी बीच 14 अप्रैल भी आई, बंगाली नववर्ष और भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती. प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में लॉकडाउन 2.0 की घोषणा भी कर बैठे, जो कि है 3 मई तक ! हालाँकि 20 अप्रैल से देश के वैसे क्षेत्रों में कुछ ढील भी रही, जहाँ पिछले 14 दिनों से कोरोना के एक भी मरीज नहीं पाए गए हैं ! सोशल डिस्टेंसिंग लिए बुजुर्गों की सेवा सहित गरीबों को भोजन कराने के लिए भी मोदीजी गए. स्वास्थ्य-संबंधी ‘एप’ भी डाउनलोड करने को कहा गया। सप्तपदी लिए मेरे परिवारजनों द्वारा गर्म पानी, हरवाकस, तुलसी आदि पौधे के पत्ते का काढ़ा वर्षभर ग्रहण किये जाते रहे हैं ! एक महत्वपूर्ण बात, सोशल डिस्टेंसिंग में शादी करके ही क्या फायदे होंगे ? आखिर सोशल डिस्टेंसिंग में शारीरिक संबंध कैसे बनेंगे ? जब हाथ मिलाने, गले लगाने, चुम्मन इत्यादि ही बंद है ! दो बार विष-विष यानी 2020 वर्ष न सही, 2021 ही सही ! सालभर बाद ही शादी कीजिए ! लोगों को शादी के लिए धैर्य रखने चाहिए ! एक पूर्व प्रधानमंत्री के पोते तक इस सोशल डिस्टेंसिंग में समारोहपूर्वक शादी कर बैठे. जब कानून बनानेवालों का परिवार ऐसे करेंगे, तो समाज के आखिरी व्यक्ति आखिर किनसे प्रेरणा लेंगे ? यह घटना अफ़सोसजनक है ! कोटा में रह रहे बिहारी छात्रों के एक विधायक अभिभावक ने लॉकडाउन के रूल को तोड़कर बच्चों को स्पेशल पास के बहाने फोरव्हीलर्स से घर ले आ गए, तो कई ऑफिसरों ने मछली पार्टी अटेंड किये ! बैंक खाते में 1,000 रुपये आने से बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग का ग्राहकों द्वारा खुलेआम उल्लंघन किये जा रहे ! शहरी क्षेत्र में पुलिसिया अंकुश लगी, किंतु देहाती क्षेत्रों दबंग और उज्जड लोग खुला खेल फर्रुखाबादी में संलग्न हो गए ! वहीं सोशल मीडिया में अपने-अपने ढंग से पोस्ट और कमेंट होते रहे ! सरकार की तरफ से गलत और भ्रामक खबरों की रोक पर अखबारों में प्रेस विज्ञप्ति धड़ल्ले से छपे. क्या लॉकडाउन या कोई नियम-परिनियम कमजोर और अनुशासित लोगों के लिए ही होते हैं ? महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को 6 माह के अंदर विधानसभा की सदस्यता ग्रहण नहीं किये जाने की अलग ही टेंशन है ! बिना मंत्रिमंडल के शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहकर कीर्तिमान भी स्थापित कर लिए ! अप्रैल के अंतिम सप्ताह में रमजान के महीने हैं, मौलानाओं ने लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दायरे में रहकर रोज़े के लिए आग्रह किए ! अमर शहीद कुँवर सिंह की जयंती (23 अप्रैल) और भारतरत्न सचिन के जन्मदिवस (24 अप्रैल) भी हैं इसी माह. भारतीय क्रिकेटरों व खिलाड़ियों की तरफ से मास्क पहनने और बनाने को लेकर हैशटैग मुहिम ने रंग लाई है, तो अन्य सरोकार भी अभिमत लिए हैं ! भारत में लॉकडाउन से फायदे हुए हैं.

मई 2020
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उम्मीद पर ही दुनिया कायम है!
‘महामारी’ खात्मा के लिए साल-साल ‘लॉकडाउन’ रहे, तो मुझ अविवाहित के लिए यह कोई संकट की बात नहीं होगी, सिर्फ दो जून खाने को मिलती रहे, तो ‘उफ़’ की कोई बात नाहीं जी!

जून 2020
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लॉकडाउन 5.0, पर यह अब अंत की ओर । अब कोरोना के साथ ही जीवनयापन ! कोरोना से रिकॉर्ड मरीज बढ़े, मृत्यु भी, पर अनलॉक- 1 लिए जीवनयापन इस कॉम्प्लेक्स वायरस के साथ शुरू हो चुकी है, क्योंकि इसके विरुद्ध कोई चिकित्सकीय उपचार नहीं बने और सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 522 Views
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