Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2020 · 1 min read

अब भी टाइम बचा बहुत है

मानवता को मानो भाई
मजहब में तो खचा बहुत है।

सारी दुनिया मे अब देखो
कोरोना का गचा बहुत है।।

घृणा-द्वेष वश था गुर्राता
देखो दुश्मन नचा बहुत है।

किया मूर्खता लापरवाही
दर्द से पीड़ित चचा बहुत है।।

शोषण किया प्रकृति का भारी
तभी तांडव मचा बहुत है।

जनसंख्या भी बढ़ गई इतनी
डग-डग में जन ठचा बहुत है।।

जिसने स्वार्थ में लूटा पीटा
आखिर खाया दचा बहुत है।

मानव को मानव न माना
मुझे जानवर जँचा बहुत है।।

चेहरा बना रखा है भोला
मन में शाजिस रचा बहुत है।

देर करो मत ‘कौशल’ सुधरो
अब भी टाइम बचा बहुत है।।

©कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’

Language: Hindi
1 Like · 403 Views
Books from Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
View all

You may also like these posts

स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
स्वयं पर नियंत्रण कर विजय प्राप्त करने वाला व्यक्ति उस व्यक्
Paras Nath Jha
*आभार कहो अपना भारत, जनतंत्र-रीति से चलता है (राधेश्यामी छंद
*आभार कहो अपना भारत, जनतंत्र-रीति से चलता है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
तुम बिन
तुम बिन
Sudhir srivastava
दरअसल Google शब्द का अवतरण आयुर्वेद के Guggulu शब्द से हुआ ह
दरअसल Google शब्द का अवतरण आयुर्वेद के Guggulu शब्द से हुआ ह
Anand Kumar
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
4520.*पूर्णिका*
4520.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वंय की खोज
स्वंय की खोज
Shalini Mishra Tiwari
*इंसानियत का कत्ल*
*इंसानियत का कत्ल*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
संवेदना प्रकृति का आधार
संवेदना प्रकृति का आधार
Ritu Asooja
हाइकु - डी के निवातिया
हाइकु - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
..
..
*प्रणय*
मंजिल नहीं जहां पर
मंजिल नहीं जहां पर
surenderpal vaidya
ईश्क़
ईश्क़
Ashwini sharma
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
शेखर सिंह
मीठे बोल
मीठे बोल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वादों की तरह
वादों की तरह
हिमांशु Kulshrestha
शौक या मजबूरी
शौक या मजबूरी
संजय कुमार संजू
ज़रा सी  बात में रिश्तों की डोरी  टूट कर बिखरी,
ज़रा सी बात में रिश्तों की डोरी टूट कर बिखरी,
Neelofar Khan
20. The Future Poetry
20. The Future Poetry
Santosh Khanna (world record holder)
" काश "
Dr. Kishan tandon kranti
पछतावा
पछतावा
Dipak Kumar "Girja"
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
मेहनत करने में जितना कष्ट होता है...
Ajit Kumar "Karn"
मां
मां
Dheerja Sharma
चुप्पी मैंने साध ली है
चुप्पी मैंने साध ली है
Bhupendra Rawat
* वक्त  ही वक्त  तन में रक्त था *
* वक्त ही वक्त तन में रक्त था *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
Dr Archana Gupta
"When everything Ends
Nikita Gupta
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
शोर शराबे
शोर शराबे
manjula chauhan
सपने
सपने
Divya kumari
Loading...