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5 Jan 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

यह दावा है मेरा मैं तुझे याद आता रहूंगा
हवा बनकर सांसों में तेरी समाता रहूंगा

तेरी रूह भी हो जाये बेचैन सुनकर जिसे
लिखकर ग़ज़लें ऐसी मैं अब गाता रहूंगा

सो भी ना सकोगे सुकूं से बिछड़कर मुझसे
यादों से अपनी ऐसे मैं तुझे जगाता रहूंगा

ख़ैरियत तक पूछेंगे लोग मेरी तुझसे ही
एक सवाल बनकर तुझे सताता रहूंगा

तुम बुझा देना मेरी राहों के सारे चराग़ों को
मैं तो जुगनू की तरह जगमगाता रहूंगा
……….

:- आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com

4 Likes · 2 Comments · 388 Views
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