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10 Jun 2019 · 1 min read

बंदिशे

नही मानता तमाम बंदिशें उनकी
जहा इज्जत ही ना हो आदमी की
वफा की कसमे खाया करते थे वो
गलियां वो पुरानी है कभी की
पडी क्या हमे वो खुद की खुद सोचे
यहा परवाह कभी खुद की नही की
सभी साधते है अपना स्वार्थ हमेशा
वो करते बात फिर इज्जत बेइजती की।

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