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8 Jun 2019 · 1 min read

गज़ल- जब तलक शम्अ ये दिल में जलती रहे

जब तलक शम्अ ये दिल में जलती रहे।
आस दीदार की दिल में पलती रहे।।

आरज़ू दिल की है आख़िरी ये मेरी।।
वस्ल तक ही सही सांस चलती रहे।।

सिलसिला प्यार का अब थमेगा नहीं।
प्यार में जां निकलती निकलती रहे।।

हो ख़िजा का शमां या क़यामत कभी।
बन कली दिल के गुलशन में खिलती रहे।।

महज़बी नाज़नी सौख़ चंचल अदा।
ये अदा ‘कल्प’ दिल में मचलती रहे।।

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