मुक्तक
हम सूरज से भी आँख मिला सच्चाई बोलेंगे,
कुदरत पर भी आज सियासत छाई बोलेंगे,
तेज़ हवा से जो तिनका जा पहुँचा है अम्बर में
कह दो कैसे इस ऊँचाई को हम ऊँचाई बोलेंगे “
हम सूरज से भी आँख मिला सच्चाई बोलेंगे,
कुदरत पर भी आज सियासत छाई बोलेंगे,
तेज़ हवा से जो तिनका जा पहुँचा है अम्बर में
कह दो कैसे इस ऊँचाई को हम ऊँचाई बोलेंगे “