मुक्तक
लाचार क्या होना किसी लाचार के आगे,
कई मझधार होते हैं मेरी रफ़्तार के आगे,
बिकाऊ कर दिया दुनिया ने जिसको होशियारी से,
बिछ जाती है ये दुनिया उसी बाज़ार के आगे
लाचार क्या होना किसी लाचार के आगे,
कई मझधार होते हैं मेरी रफ़्तार के आगे,
बिकाऊ कर दिया दुनिया ने जिसको होशियारी से,
बिछ जाती है ये दुनिया उसी बाज़ार के आगे