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24 Jan 2024 · 1 min read

दीये तले अंधेरा!

आकाश में कुछ भी नज़र आता नहीं
हाथ भी तो कोई रास्ता सुझाता नहीं!

अमावस के बाहुपाश में फँसी रात है
चाँद जो छुप गया है जाकर कहीं!

कोई आसमान काला रंग गया है
अचानक ही कहीं से आकर अभी!

घनघोर अंधेरा तो हर तरफ़ ही फैला
मगर कहीं दीप माला है जगमगा उठी!

अपने ही प्रकाश से अंधकार मिटाने
ज्योति इन दीयों की है टिमटिमा रही!

स्वर्णिम किरणों ने रास्ता दिखाकर
भटकते राही को दी है एक आस नई!

दीये जले जग से अंधेरा मिटाने मगर
किसी ने भी उनकी सुध ली न कभी!

दीये ने तो तले में सारा अंधेरा समेटा
ताकि रौशन हो सकें अंधेरी राहें सभी!

मगर उसका त्याग कटाक्ष बन गया है
उल्लेख प्रतिकूल दृष्टांत बना है यहीं!

दीये तले अंधेरे को मुहावरा बनाकर
उलाहनों ने सच छुपा दिये जाने कहीं!

Language: Hindi
99 Views
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