Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

जिंदगी – चौराहे – दृष्टि भ्रम

लोग कहते हैं की जिंदगी
चौराहे पर खड़ी है

उधेड़ बुन ऐसी – की
जाएँ तो किधर जाएँ
यह कैसा दृष्टि भ्रम है !?!

नजर का फेर है ‘
नजरिया ही फेर लें

तो यह एहसास भी होगा
चारों दिशाओं को जोड़ती हैं
चौराहें –

बस जिंदगी को
समेटने की जरूरत है !!

Language: Hindi
180 Views
Books from Atul "Krishn"
View all

You may also like these posts

Best Preschool Franchise in India
Best Preschool Franchise in India
Alphabetz
मुझको दिया गुलाब
मुझको दिया गुलाब
RAMESH SHARMA
मानसिक और भावनात्मक तकलीफ
मानसिक और भावनात्मक तकलीफ
Mamta Rani
मां शारदे वंदना
मां शारदे वंदना
Neeraj Agarwal
लोकतंत्र में —
लोकतंत्र में —
SURYA PRAKASH SHARMA
चाटते हैं रात दिन थूका हुआ जो।
चाटते हैं रात दिन थूका हुआ जो।
Kumar Kalhans
*नए वर्ष में स्वस्थ सभी हों, धन-मन से खुशहाल (गीत)*
*नए वर्ष में स्वस्थ सभी हों, धन-मन से खुशहाल (गीत)*
Ravi Prakash
3878.💐 *पूर्णिका* 💐
3878.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
11. O My India
11. O My India
Santosh Khanna (world record holder)
इस दीवाली नक़ली मावे की मिठाई खाएं और अस्पताल जाएं। आयुष्मान
इस दीवाली नक़ली मावे की मिठाई खाएं और अस्पताल जाएं। आयुष्मान
*प्रणय*
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
सुनाऊँ प्यार की सरग़म सुनो तो चैन आ जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
307वीं कविगोष्ठी रपट दिनांक-7-1-2024
307वीं कविगोष्ठी रपट दिनांक-7-1-2024
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
पानी बचाना है...
पानी बचाना है...
अरशद रसूल बदायूंनी
मेरे भी दिवाने है
मेरे भी दिवाने है
Pratibha Pandey
सोशल मीडिया में आधी खबरें झूठी है और अखबार में पूरी !!
सोशल मीडिया में आधी खबरें झूठी है और अखबार में पूरी !!
P S Dhami
सोच का अंतर
सोच का अंतर
मधुसूदन गौतम
पराधीन
पराधीन
उमा झा
नशा किस बात का है।
नशा किस बात का है।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
सूरवीर
सूरवीर
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
छल फरेब
छल फरेब
surenderpal vaidya
काम न आये
काम न आये
Dr fauzia Naseem shad
राम-वन्दना
राम-वन्दना
विजय कुमार नामदेव
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
अभाव और साहित्य का पुराना रिश्ता है अभाव ही कवि को नए आलंबन
गुमनाम 'बाबा'
" सच-झूठ "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता की आलोचना में कविता
कविता की आलोचना में कविता
Dr MusafiR BaithA
ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है
ज़िन्दगी भी हाल अपना देख कर हैरान है
Priya Maithil
मां शारदे
मां शारदे
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बावरा मन
बावरा मन
RAMESH Kumar
Loading...