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4 Feb 2019 · 1 min read

मुक्तक

“आइने से असलियत चेहरों की हम कैसे छुपाएँ,
दूर तुझसें मैं न ज़िन्दा, ना ही ज़िन्दा भावनाएँ,
तेरी चौखट पर न जाने कितनी की हैं मिन्नते,
सह नहीं पाता है दिल अब बेरूखी की वेदनाएँ “

Language: Hindi
377 Views

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