Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2019 · 1 min read

मुक्तक

” बेचैनियाँ बढ़ीं तो दुआ बन गई ग़ज़ल,
ज़र्रे जो थरथराए, सदा बन गई ग़ज़ल,
चमकी कहीं जो बर्क़ तो ऐहसास बन गई,
छाई कहीं घटा तो अदा बन गई ग़ज़ल”

Language: Hindi
584 Views

You may also like these posts

मेरी तू  रूह  में  बसती  है
मेरी तू रूह में बसती है
डॉ. दीपक मेवाती
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
यूं तो रिश्तों का अंबार लगा हुआ है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आंखो के सपने और ख्वाब
आंखो के सपने और ख्वाब
Akash RC Sharma
बाहर का मंज़र है कितना हसीन
बाहर का मंज़र है कितना हसीन
Chitra Bisht
🙅नया मुहावरा🙅
🙅नया मुहावरा🙅
*प्रणय*
#मानवता का गिरता स्तर
#मानवता का गिरता स्तर
Radheshyam Khatik
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
वेद पुराण और ग्रंथ हमारे संस्कृत में है हर कोई पढ़ा नही पाएं
पूर्वार्थ
بھک مری کا گراف
بھک مری کا گراف
अरशद रसूल बदायूंनी
आजाद लब
आजाद लब
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
3066.*पूर्णिका*
3066.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्यार ऐसा हो माता पिता के जैसा
प्यार ऐसा हो माता पिता के जैसा
Rituraj shivem verma
तुम भी जनता मैं भी जनता
तुम भी जनता मैं भी जनता
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*मन अयोध्या हो गया*
*मन अयोध्या हो गया*
ABHA PANDEY
पेंशन पर कविता
पेंशन पर कविता
गुमनाम 'बाबा'
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
21वीं सदी की लड़की।
21वीं सदी की लड़की।
Priya princess panwar
अनुपम उपहार ।
अनुपम उपहार ।
अनुराग दीक्षित
परित्यक्ता
परित्यक्ता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जीवन पथ
जीवन पथ
Dr. Rajeev Jain
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
गौरैया
गौरैया
Shutisha Rajput
मन की गति
मन की गति
Dr. Kishan tandon kranti
मैं उनकी ज़फाएं सहे जा रहा हूॅं।
मैं उनकी ज़फाएं सहे जा रहा हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
इल्ज़ाम
इल्ज़ाम
अंकित आजाद गुप्ता
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
डॉ. दीपक बवेजा
मेरा भारत
मेरा भारत
Rajesh Kumar Kaurav
पंछी
पंछी
sushil sarna
"काम करने का इरादा नेक हो तो भाषा शैली भले ही आकर्षक न हो को
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
भरोसा
भरोसा
Uttirna Dhar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Loading...