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4 Jan 2019 · 1 min read

यदि चाह रहा जीवन सुखकर

यह सारा जग ही है नश्वर
फिर क्यों करता है आडम्बर

पूरे कर कर्म सभी अपने
निष्काम कर्म मे रत रहकर

सबकुछ माया परमेश्वर की
तू राग द्वेष से उठ ऊपर

है नित्य अनित्य यहाँ पर क्या
पहचानों सावधान होकर

है सदा अनर्थक अर्थ यहाँ
ना कोई सुखी इसे पाकर

जो रहता काम-भोग मे रत
रोगी बनकर रहता वह नर

तू सदा सदा भज मधूसूदन
यदि चाह रहा जीवन सुखकर

?मधुसूदन दीक्षित?

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