Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2018 · 1 min read

नजर भी आ रहा है अब

तिरा मासूम सा चेहरा नजर भी आ रहा है अब
तेरी फितरत परख़ने का हुनर भी आ रहा है अब

तेरे वादे , तेरी कसमें , तेरी महफिल , तेरे नगमें
तेरा खुद पे इतराना नजर भी आ रहा है अब

बिना तेरे नहीं जीना फकत मरना ही था बेहतर
इरादा तो किया पहले जहर भी आ रहा है अब

न मैं कोई सितारा था न दुनियाँ का सहारा था
मुझे मशहूर होना था हुनर भी आ रहा है अब

भटकना ही मेरी फितरत में शामिल है तो क्या करता
मेरी मंजिल को पाने का सफर भी आ रहा है अब

अरे “योगी” तू उलझा क्यों सफर को हमसफर करले
बहुत गमगींन रस्तों का सफर भी आ रहा है अब

रचनाकार-योगेन्द्र योगी
मोबाइल नंबर – 7607551907 ?

4 Likes · 1 Comment · 471 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दीप जलाया है अंतस का,
दीप जलाया है अंतस का,
Priya Maithil
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
2962.*पूर्णिका*
2962.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खामोशी
खामोशी
Sudhir srivastava
तुम मुझे मेरा गिफ़्ट ये देना.....
तुम मुझे मेरा गिफ़्ट ये देना.....
MEENU SHARMA
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
आज़ाद भारत एक ऐसा जुमला है
SURYA PRAKASH SHARMA
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
Dr Archana Gupta
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कोशिश ये करनी है कि कर्म हमारे अच्छे हो
कोशिश ये करनी है कि कर्म हमारे अच्छे हो
Rekha khichi
स्कंदमाता
स्कंदमाता
मधुसूदन गौतम
*तोता (बाल कविता)*
*तोता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
न मुझको दग़ा देना
न मुझको दग़ा देना
Monika Arora
व्यवहारिकता का दौर
व्यवहारिकता का दौर
पूर्वार्थ
22, *इन्सान बदल रहा*
22, *इन्सान बदल रहा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
Juhi Grover
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
सच कहना जूठ कहने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि इसे कहने म
ruby kumari
khanjanAliJhaja
khanjanAliJhaja
khanjanAliJhaja
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जरूरत के हिसाब से ही
जरूरत के हिसाब से ही
Dr Manju Saini
हाले दिल
हाले दिल
Dr fauzia Naseem shad
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*प्रणय*
"कलम और तलवार"
Dr. Kishan tandon kranti
भटकता पंछी !
भटकता पंछी !
Niharika Verma
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
कितना मुश्किल है केवल जीना ही ..
Vivek Mishra
बेहद खुशनुमा और हसीन से हो गए हैं ये दिन।
बेहद खुशनुमा और हसीन से हो गए हैं ये दिन।
RJ Anand Prajapatit
Loading...