दर्द दिल का है बता नहीं सकते,
क़म्बख्त ये बेपरवाही कहीं उलझा ना दे मुझको,
हमको तू ऐसे नहीं भूला, बसकर तू परदेश में
वो कली हम फूल थे कचनार के।
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*रामपुर रियासत को कायम रखने का अंतिम प्रयास और रामभरोसे लाल सर्राफ का ऐतिहासिक विरोध*
कुछ लोग प्यार से भी इतराते हैं,
काहे का अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Just like a lonely star, I am staying here visible but far.
कभी गुज़र न सका जो गुज़र गया मुझमें
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर