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3 Nov 2018 · 1 min read

माँ की व्याख्या

तेरी व्याख्या करने को माँ, पंक्तिया कम रह जाती है।
किस मिट्टी की है माँ तू, हर गम को तू सह जाती है।।

ममता से भरपूर आँचल तेरा, माँ तेरा रूप निराला है।
लड़खड़ाते मेरे हर कदम को, बस तूने माँ सम्हाला है।।

महफूज रखा अपने गर्भ में, तूने गोद में खिलाया है।
लोरी सुनाकर थपकी देकर, प्यार से तूने सुलाया है।।

रखती जब सर तेरी गोदी में, मैं बच्ची हो जाती हूँ माँ।
लाख गम हो जिंदगी में, खुशियों में खो जाती हूँ माँ।।

मेरी अनमोल थाती माँ तू, क्या तू भी एक इंसान है।
होगी बहन, बहु, बेटी तू माँ, मेरे लिए तो भगवान है।।

औलाद के मोह में पड़कर माँ तू, धारा में बह जाती है।
तेरी व्याख्या करने को माँ, पंक्तिया कम रह जाती हैं।।

सुषमा मलिक
रोहतक (हरियाणा)

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