पहली बार वधु घर आई
पहली बार वधु घर आई
घर के ढिओढी द्वार सजे हैं,
झूम के आई पुरवाई।
मंगल गीत की मंगल ध्वनि,
और गूंज उठी शहनाई।
सुर्ख जोड़े में सज धज कर,
पहली बार वधू घर आई।
हाथों में खनके स्वर्ण कंगना
रजत पायल पग छनकाई।
नैनों में कई सपने संजोए,
गोदी भर आशाएं लाई।
छोड़ बाबुल घर बीता जीवन,
एक नई दुनिया बसाने आई।
छूटा बचपन रिश्ते नाते,
नए रिश्ते बनाने आई।
ले प्रभार कुटुंब अपने का,
रहे फूली -फूली समाई।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश