ग़ज़ल _ दर्द बन कर तुम मेरी आँखों में आते क्यूँ नहीं।
अमर उजाला हिंदी दैनिक में हमारे दो व्यंग्य लेख क्रमशः 22-7-1
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
चंदा की तकदीर में लिखा नही आराम
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हे आदिशक्ति, हे देव माता, तुम्हीं से जग है जगत तुम्ही हो।।
किससे कहे दिल की बात को हम
रिज़्क़ तू सबको दे मेरे मौला,
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट