Posts Poetry Writing Challenge-2 210 authors · 4349 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 18 Next Jyoti Roshni 20 Feb 2024 · 1 min read आओ मोहब्बत की शुरुआत करें... आओ मोहब्बत की शुरुआत करें कम से कम एक तो मुलाकात करें। कब से सूखी पड़ी है दिल की जमीन इस पर प्यार की बरसात करें। दिल ही बोले और... Poetry Writing Challenge-2 50 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति को जो समझे अपना तरस रहा जो बूँद–बूँद को, जल का मोल वही जाने, सूखी रोटी खा रहा चाओ से, अन्न का मूल्य वही जाने, साँसो के लिए जो तड़प रहा, प्राणों की अहमियत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 123 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read भेद नहीं ये प्रकृति करती सुन्दर गगन चुम्बी इमारतों ने, मन मेरा कितना मोह लिया, स्वच्छ और सुन्दर उपवन संग सजा है, प्रकृति का आशीर्वाद मिला है। निस दिन मानव भू मंडल में, करता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 1 157 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read शराब हलक को जलाती , उतरती हलक में शराब कहते है।। लाख काँटों की खुशबू गुलाब कहते है।। छुपा हो चाँद जिसके दामन में हिज़ाब कहते है।। ठंडी हवा के झोंके... Poetry Writing Challenge-2 129 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 2 min read प्रिये चाहत की मंजिल जीवन की सौगात प्रिये तेरे ही मिल जाने से हो जीवन उद्धार प्रिये।। स्वर संगीत दिल धड़कन प्राण प्रिये करम किस्मत की राह प्रिये तेरे ही मिल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 126 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 2 min read प्रिये मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये याद जब भी करो चाहे जब भी पुकारों दिल की गहराई यादों की परछाई में।। मैं मिलूंगा तुम्हे वहीँ प्रिये तुम्हारे प्यार की गलियों में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 123 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read जिंदगी हवाई जहाज जिंदगी और हवाई जहाज़--- जिंदगी हवाई जहाज ख्वाबों खयालो कल्पना उड़ानों में उड़ती ।। खूबसूरत कल्पना लोक विचरती कभी कल्पना ख़्वाब खयाल वास्तविकता वास्तव के रनवे पर चक्कर काटती एरोड्रम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 183 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 3 min read जिंदगी 1--कभी खुशियों का समंदर साम्राज् कभी गम के आंशुओं में डूबती उतराती खुद के सुकून के पल दो पल खोजती जिंदगी।। कभी अरमानो केआसमान की परवाज तो कभी चुनौतियों से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 145 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read जज्बात 6-कहीं है आग जज्बे में कहीं तूफां मचलते है बेचैन शमा कहीं पे है परवाने भी जलते है,परवाने भी जलते है।। कहीं जो मिल जाओ हमदम दिल को करार आये।।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 111 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read बसंत बसन्त के रंग-जब बहाती शीतल मंद बयार. कोयल की कू कू महुया कि खूशबू खास।। खेतो मैं हरियाली खुशहाली की झूमती की बाली।। हर सुबह सूरज युग की बिशावस की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 131 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 2 min read रोटी रोटी क्या क्या नाच नचाती जाने क्या क्या खेल खिलाती। रोटी रिश्ते नाते परिवार छुड़वाती रोटी दोस्त दुश्मन से मिलवाती।। रोटी बोटी कटवाती ,बोटी से रोटी, रोटी से बोटी अच्छों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 126 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read अभिमान अरमानों के आसमान पे लहराता जन गण मन कि शान वंदे मातरम का सम्मान भारत का अभिमान।। गंगा की धाराओं की कल कल कलरव की आवाज सत्य अहिंसा का गांधी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 121 Share Buddha Prakash 20 Feb 2024 · 1 min read संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा हे ! जग में रहने वाले, संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा ! प्रकृति के हो तुम आसरे, यूँ धरा की सुंदरता बिगाड़ो ना !! रमणीयता घने वन- उपवन की,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रकृति की छाव में 2 107 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read बसंत रचना शीर्षक ---बसन्त उल्लास है ,उमंग है, रंग में बसन्त है ध्यान ,कर्म ,धर्म, मर्म ज्ञानऔर प्रसंग है।। बजती है बीणा ,डमरू बजता मृदंग है बहती बयारों में कण कण... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 114 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 2 min read प्यारा सा गांव प्यारा सा गांव बचपन की परिवरिश की मित्र मंडली ठाँव।। लगता था कभी ना छूटेगा बचपन प्यारा सा गांव नदी का किनारा पीपल की छांव।। प्रथम अक्षर से परिचय करवाते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 140 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read दिल आइना दिल अरमानों का आईंना--- दिल की क्या बात कभी खुश कभी नाराज खुशी गम दिल की गहराई जज्बात।। चाहत के मील जाने पर दिल बाग बाग दिल आईंना देखता सिर्फ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 172 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read एहसास एहसास हूँ मैं झोंका पवन विश्वाश हूँ मैं भाव भावना का प्रवाह हूँ मैं प्रत्यक्ष नही परोक्ष नही अंतर मन कि आवाज हूँ मै।। जिसने जैसा मेरा वरण किया उसका... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 180 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 20 Feb 2024 · 1 min read गरीबी गरीबी दुनियां में अभिशाप गरीबी बेवस लाचारी जीवन भार भूख भय दहसत पल प्रहर दिन रात।। मानव मानवता लज्जित गरीबी का देख हाल खाने को रोटी नही तन पर आधे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 157 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read जिंदगी रूठ गयी जिंदगी रूठ गई जाने कहाँ खो गई एक दायरे में सिमट गई खोजता हूँ घनघोर आंधेरो में रास्ता जिंदगी की चाहतों का वास्ता।। जिंदगी के सब दरवाजे बंद बंद दरवाजो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 147 Share अनुराग दीक्षित 19 Feb 2024 · 1 min read सुरभित मन्द समीर बहे। वन उपवन मृग भरें कुलांचें , सुरभित मन्द समीर बहे। चहुँ दिश फूल खिलें मनभावन, प्रकृति छटा सर्वत्र रहे। घिरे घटा घनघोर घनेरी मगन मयूरा मस्त रहे वन उपवन मृग... Poetry Writing Challenge-2 135 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 2 min read जिंदगी कि सच्चाई जिंदगी की सच्चाई---- जिंदगी के लम्हो में साथ साथ जिया हमने गांव की गलीयो में पचपन की शरारत के दिन बीते।। साथ साथ स्कूल गए ना जाने कब बचपन पीछे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 114 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read काश तुम मेरी जिंदगी में होते ----विषय--काश तुम --- काश तुम मेरी ज़िंदगी में जो होते ज़िंदगी से इतनी शिकायत न होती।। वफ़ा ज़िंदगी में बेवफाई न होती मोहब्बत के हम भी मसीहा ही होते जिंदगी... Poetry Writing Challenge-2 · ग़ज़ल 127 Share अनुराग दीक्षित 19 Feb 2024 · 1 min read कतरा कतरा बिखर रहा था । कतरा कतरा बिखर रहा था । उधर से होकर गुजर रहा था मैं कतरा कतरा बिखर रहा था । नहीं रहा है वो मिलना मुमकिन जो रोज का सिलसिला रहा... Poetry Writing Challenge-2 110 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 3 min read जेठ कि भरी दोपहरी --जेठ की दोपहरी का एक दिया--1 जेठ की भरी दोपहरी में एक दिया दिया जलाने की कोशिश में लम्हा लम्हा जिये जिये जा रहा हूँ।। शूलों से भरा पथ शोलों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 195 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read जिंदगी जिंदगी ऐसे मोड़ आ गयी निराश हताश जाने कहाँ खो गयी खोजता हूँ जिंदगी जीने के बहाने अतीत की आवाज आ गयी।। इंसा वही हो जिंदगी में तमाम मकसद मुकाम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 143 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read पल परिवर्तन शीर्षक ---पल का परिवर्तन-- सिर्फ एक पल ही खुशियां जीवन में प्राणि समझता है,परमेश्वर स्वयं सिद्ध परमेश्वर व्यख्याता।। सिर्फ एक पल की खुशियों के लिये मानव जाने क्या क्या कर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 109 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read तिरंगा 1- भारत का अभिमान अरमानों के आसमान पे लहराता जन गण मन कि शान ,वंदे मातरम का सम्मान ,भारत का अभिमान।। गंगा की धाराओं की कल कल कलरव की आवाज... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 128 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read सावन भादों सावन भादों की बदरिया मनभावन लागे।। सावन भादों की बदरिया मनभावन लागे ।। ढंक जाए सूरज, बादल और बारिस जीवन की खुशियां जैसे भावे।। सावन भादों की बदरिया मनभावन लागे।।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 138 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read सपने सपने तो सपने कभी होते अपने कभी रह जाते सपने सपने स्वंत्रत अन्तर्मन आकाश विचरण करते।। कल्पना यथार्त से परे आविष्कार याथार्त इच्छा परीक्षा पुरस्कार सपने सपनों की आधारशिला नही... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 141 Share नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर 19 Feb 2024 · 1 min read शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं चिता भस्म भूषित श्मसाना बसे हंम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।। अशुभ देवता मृत्यु उत्सव हमारा शुभोंह शुभोंह शुभोंह शुभोंह शिवोहं शिवोहं शिवोहं ।। भूत पिचास स्वान सृगाल कपाली... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 132 Share manjula chauhan 19 Feb 2024 · 1 min read गिरें क्या जरा सा! गिरें क्या जरा सा! उठकर चलना क्यों भूल गए? याद रहे, ज़माना दम का है; बेदम का नहीं। Poetry Writing Challenge-2 1 158 Share Vansh Agarwal 19 Feb 2024 · 1 min read दुकान मे बैठने का मज़ा दुकान मे बैठे हुए है धूप सेक रहे है दुकान के लोगों के बीच एश भी कर रहे है। एश की जिन्दगी जी रहे है बॉस की कुर्सी पर बैठे... Poetry Writing Challenge-2 · दुकान 1 111 Share manjula chauhan 19 Feb 2024 · 1 min read कहते है ये कहते है ये वो रास्ता है जो सच की तरफ बढ़ता है, पर शायद ही अब कोई इस रास्ते पर चलता है। मिलावटी दूध दाल है, बड़ा बुरा हाल है,... Poetry Writing Challenge-2 · हास्य-व्यंग्य 1 101 Share उमा झा 19 Feb 2024 · 1 min read कब आओगे मनहर बसंत दिशा दिशा में है कोहरे का पहरा, निशदिन रहता चौकसी गहरा धूप बिचारी दिखा न पाए मुखरा ,सुनने वाला कौन है दुखरा, है जब सूरज नजर बंद, हो कैसे शीतलहर... Poetry Writing Challenge-2 1 164 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read बेबसी न काटें बिछे थे न कोई फूल खिला था जिस राह पे चला अकेला ही चला था। जब भी मिला धूप का मंजर हसीं कोई उस रोज बहुत जल्दी सूरज... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read नाकाम दुनिया की नजर मे भले नाकाम कहलाऊंगा टूटे हुए दिलों के पर काम तो आऊँगा। खिला न सकूँ कोई गुल तो क्या हुआ गुलशन ए बहार का पैगाम तो लाऊँगा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 138 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read दीवाना किसी हसरत की तू मंज़िल कोई तेरा दीवाना है मगर खामोश वो है कि मोहब्बत का फ़साना है। हिज़्र के साज़ पर हर पल मिलन के गीत गाता है जहां... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 68 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read फ़ासले पल नजदीकियों के बेखबर से हो गए फ़ासलें दरमियां के हमसफ़र से हो गए। आँखों ने कुछ कहा, कुछ कहा जुबां ने हम किसी खामोश बूढ़े शज़र से हो गए।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 128 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read अब ऐसे दस्तूर हुए हैं हम तुम यूँ मजबूर हुए हैं देखो कितने दूर हुए हैं। आँखों तक आने से पहले ख़्वाब चकनाचूर हुए है। ख्वाहिशों ने गुनाह बक्शे वरना सब बेक़सूर हुए हैं। जल्दी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 66 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read कोई गज़ल गा दीजिए दर्द से दर्द की दवा कीजिये हम है बैठे ग़जल कोई गा दीजिये। एक नन्हा दिया जल रहा है कहीं साथ जलकर उसे हौसला दीजिये। फासलों ने दिए जख्म है,दर्द... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read भीतर तू निहारा कर अपनी अपनी जिद से पल भर को किनारा कर मुमकिन है कि बन जाये फिर से बात दोबारा कर। मुझको कोई चीज़ समझ न तेरा हूँ तो तेरा ही हूँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 61 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया दौरे-शुकूँ फिर से आज दिल जला गया मेरा पता पूछ कर कहीं और चला गया। आंखों का अश्कों का न दिल का कसूर था ख़त में लिखा था जो वो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 135 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read इक मेरे रहने से क्या होता है इक मेरे रहने से क्या होता है तेरे बिन खाली मकां होता है । जो कह न सके हिम्मत से सच मेरी नजर में वो बेजुबां होता है । जंग... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share उमा झा 19 Feb 2024 · 1 min read खा ले तितली एक निवाला खा ले तितली एक निवाला, आ जाएगा भालू काला- काला, चले रोप लें लम्बा पेड़, होगा उस पर टाॅफी- बिस्किट ढेर, होंगे इनके रेपर चमचम वाला, खा ले तितली एक... Poetry Writing Challenge-2 1 137 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read यूँ मिला किसी अजनबी से नही हौंसला है अगर वक़्त भी साथ है मुश्किलें हैं बड़ी आदमी से नही है दिया जल रहा रोशनी के लिए कोई चाहत उसकी किसी से नही फूल चुनकर लिए आ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 90 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read यकीं तुमने मोहब्बत पर जो दिल से किया होता कहीं कुछ भी नही है जो तुम्हारी जद के बाहर है यकीं तुमने मोहब्बत पर जो दिल से किया होता नजर जाती जहां तक बस दरख्तों की कतारें थी मुझे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 53 Share Shweta Soni 19 Feb 2024 · 1 min read जीवन की आपा धापी में जीवन की आपा धापी में सबकुछ भूल गये, सजना और सँवरना जैसे कि इतिहास हुआ, गिर के जाने कहाँ, वो जूड़े के सब फूल गये, रिश्ता एक,निभाने की तरकीबे सौ... Poetry Writing Challenge-2 58 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा कुछ भी तो पहले जैसा नही रहा बदल गया तू अब वैसा नही रहा जरूरत थी सामने बाजार भी था मजबूर था जेब मे पैसा नही रहा वो चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 44 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read सितम गुलों का न झेला जाएगा अभी तो ये खेल खेला जाएगा तुम्हारे पीछे सारा मेला जाएगा खुश है वो शख्स महफिले यार में देखना शहर से अकेला जाएगा मंजिल की ओर बढ़ चौकन्ना रह दर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 119 Share देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत' 19 Feb 2024 · 1 min read तुम साथ थे तो संभल गया मेरा वहां होना उसे खल गया वो बिना आग के ही जल गया मैं तो वैसा ही रहा जैसा था ये तो वक़्त है जो बदल गया ठोकरें बहुत थी... Poetry Writing Challenge-2 60 Share Previous Page 18 Next