Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

फ़ासले

पल नजदीकियों के बेखबर से हो गए
फ़ासलें दरमियां के हमसफ़र से हो गए।

आँखों ने कुछ कहा, कुछ कहा जुबां ने
हम किसी खामोश बूढ़े शज़र से हो गए।

वो शहर में रोज नई इमारतें बनाता रहा
गांव में माँ-बाप उसके खंडहर से हो गए।

जब चले थे साथ लोगों का कारवां था
देखिये शिखर पर सब सिफ़र से हो गए।

हर वक़्त दिलासों से काम चलता नही
अब लफ्ज़ चुभने लगे खंजर से हो गए।

न फ़लक ने ली खबर न तुम आये इधर
खेत उम्मीदों के सारे बंजर से हो गए।

-देवेन्द्र प्रताप वर्मा”विनीत”

Language: Hindi
36 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ईश्वर, कौआ और आदमी के कान
ईश्वर, कौआ और आदमी के कान
Dr MusafiR BaithA
■
■ "डमी" मतलब वोट काटने के लिए खरीद कर खड़े किए गए अपात्र व अय
*Author प्रणय प्रभात*
"कहानी अउ जवानी"
Dr. Kishan tandon kranti
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
बेइमान जिंदगी से खुशी झपट लिजिए
नूरफातिमा खातून नूरी
ज़िंदगी
ज़िंदगी
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
Pramila sultan
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
'उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
आर.एस. 'प्रीतम'
16- उठो हिन्द के वीर जवानों
16- उठो हिन्द के वीर जवानों
Ajay Kumar Vimal
एक न एक दिन मर जाना है यह सब को पता है
एक न एक दिन मर जाना है यह सब को पता है
Ranjeet kumar patre
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
नेपाल के लुंबनी में सफलतापूर्ण समापन हुआ सार्क समिट एवं गौरव पुरुस्कार समारोह
The News of Global Nation
*रिश्तों को जिंदा रखना है, तो संवाद जरूरी है【मुक्तक 】*
*रिश्तों को जिंदा रखना है, तो संवाद जरूरी है【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
हिन्दी दोहा शब्द- फूल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
धीरज रख ओ मन
धीरज रख ओ मन
Harish Chandra Pande
"*पिता*"
Radhakishan R. Mundhra
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
Mahender Singh
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari
2410.पूर्णिका
2410.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रूप तुम्हारा,  सच्चा सोना
रूप तुम्हारा, सच्चा सोना
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दाना
दाना
Satish Srijan
सोशल मीडिया
सोशल मीडिया
Raju Gajbhiye
रात तन्हा सी
रात तन्हा सी
Dr fauzia Naseem shad
युक्रेन और रूस ; संगीत
युक्रेन और रूस ; संगीत
कवि अनिल कुमार पँचोली
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
हुआ बुद्ध धम्म उजागर ।
Buddha Prakash
“यादों के झरोखे से”
“यादों के झरोखे से”
पंकज कुमार कर्ण
वह सिर्फ पिता होता है
वह सिर्फ पिता होता है
Dinesh Gupta
*समझौता*
*समझौता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
ए जिंदगी तू सहज या दुर्गम कविता
Shyam Pandey
Loading...