Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

गिरें क्या जरा सा!

गिरें क्या जरा सा!
उठकर चलना क्यों भूल गए?
याद रहे, ज़माना दम का है;
बेदम का नहीं।

Language: Hindi
1 Like · 91 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from manjula chauhan
View all
You may also like:
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
बंधनों के बेड़ियों में ना जकड़ो अपने बुजुर्गों को ,
DrLakshman Jha Parimal
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
सफ़र जिंदगी का (कविता)
सफ़र जिंदगी का (कविता)
Indu Singh
महायोद्धा टंट्या भील के पदचिन्हों पर चलकर महेंद्र सिंह कन्नौज बने मुफलिसी आवाम की आवाज: राकेश देवडे़ बिरसावादी
महायोद्धा टंट्या भील के पदचिन्हों पर चलकर महेंद्र सिंह कन्नौज बने मुफलिसी आवाम की आवाज: राकेश देवडे़ बिरसावादी
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---3. || विरोध-रस के आलंबन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
3224.*पूर्णिका*
3224.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चंद्रयान ने चांद से पूछा, चेहरे पर ये धब्बे क्यों।
चंद्रयान ने चांद से पूछा, चेहरे पर ये धब्बे क्यों।
सत्य कुमार प्रेमी
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
अंतर्राष्ट्रीय जल दिवस
डॉ.सीमा अग्रवाल
भगवान भी रंग बदल रहा है
भगवान भी रंग बदल रहा है
VINOD CHAUHAN
प्रात काल की शुद्ध हवा
प्रात काल की शुद्ध हवा
लक्ष्मी सिंह
#प्रातःवंदन
#प्रातःवंदन
*प्रणय प्रभात*
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
चूल्हे की रोटी
चूल्हे की रोटी
प्रीतम श्रावस्तवी
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
Vinit kumar
जन्मदिन पर लिखे अशआर
जन्मदिन पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
अर्ज किया है जनाब
अर्ज किया है जनाब
शेखर सिंह
गणतंत्रता दिवस
गणतंत्रता दिवस
Surya Barman
तुम्हारा घर से चला जाना
तुम्हारा घर से चला जाना
Dheerja Sharma
सृजन
सृजन
Rekha Drolia
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
Sanjay ' शून्य'
*अगर ईश्वर नहीं चाहता, कभी मिलता नहीं होता (मुक्तक)*
*अगर ईश्वर नहीं चाहता, कभी मिलता नहीं होता (मुक्तक)*
Ravi Prakash
बाहर-भीतर
बाहर-भीतर
Dhirendra Singh
शिक्षक और शिक्षा के साथ,
शिक्षक और शिक्षा के साथ,
Neeraj Agarwal
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं भारत का जन गण
मैं भारत का जन गण
Kaushal Kishor Bhatt
*प्रकृति-प्रेम*
*प्रकृति-प्रेम*
Dr. Priya Gupta
मां
मां
goutam shaw
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
Loading...