Posts साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता 151 authors · 340 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Rashmi Sanjay 31 Jul 2021 · 3 min read 'अचानक' घर में ढोलक की थाप पर मंगल गान अपनी छटा बिखेरे थे..फूफा जी और मम्मी एक दूसरे की खिंचाई करते-करते डांस में खोये थे। रंग में भंग तब पड़ा जब... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 7 13 513 Share विवेक जोशी ”जोश” 1 Jul 2021 · 1 min read कोरा भात !! ये बात मैं दिसंबर की एक सर्द सुबह की कर रहा हूं। सड़क की मरम्मत का काम चल रहा है। कुछ लोग आजीविका के लिए सीमेंट का गारा एक जगह... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · लघु कथा 6 14 568 Share Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या) 3 Jul 2021 · 2 min read मुंबई सपनों की नगरी निकिता छोटे शहर कानपुर की रहने वाली साधरण सी लड़की थी।उस का सपना था कि वो अपने दम पर कुछ कर के दिखाए और उस का ये सपना उसे मुंबई... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 879 Share Abha Singh 10 Jul 2021 · 2 min read अँधेरे से सामना लघकहानी "अँधेरे से सामना " गीता बचपन से ही बहुत बहादुर लड़की थी।उसे डर लगता था तो बस अँधेरे से।उसकी बड़ी बहन सीता ने उसके इस डर को निकालने की... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 8 333 Share Mahender Singh 11 Jul 2021 · 2 min read नीजि संस्थान आज आधुनिकता में मनुष्य निसर्ग स्वभाव व्यवाहारिकता से दूर होते जा रहा है, यही हर्ष और गौरव के साथ हुआ, शहरी परिवेश के पर्व और उत्सव और मौज मस्ती तरह... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 8 397 Share Astuti Kumari 16 Jul 2021 · 6 min read डर एवं डगर डर एक नकारात्मक भावना है।मनोविज्ञान के अनुसार,यह एक जैविक प्रतिक्रिया हैं जो तभी उत्पन्न होता है जब हमारा दिमाग खतरनाक और नुकसान पहुंचाने वाला समझता है, जब हमारे वर्तमान वातावरण... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 8 536 Share Rani Singh 18 Jul 2021 · 10 min read रौशन गलियों का अंधेरा "अरी ओ चंचल...! सुन काहे नहीं रही हो ? कब से गला फाड़े जा रहे हैं हम और तुम हो कि अनठा के चुप बैठी हो। आ कर खा लो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 2 465 Share Rani Singh 20 Jul 2021 · 4 min read भविष्य की परिकल्पना दलित बस्ती की परबतिया की तीन बेटियाँ हैं। वैसे परबतिया को सब कुर्सेला वाली ही कहते हैं। उसका घर वाला मने कि उसका पति है बेचन ऋषि। अब गाँव-घर में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 717 Share विवेक जोशी ”जोश” 25 Jul 2021 · 4 min read ”घर का नाैला ” पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के दुष्कर जीवन से कौन परिचित नहीं। किंतु फिर भी शिवदत्त को अपने पैतृक गांव ”धुनौली” से बहुत लगाव है। शिवदत्त के परिवार में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 4 710 Share सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life) 25 Jul 2021 · 32 min read कलयुग का हलाहल मृदुला , मेरु को स्टील के मग में चाय देती हुई पूछती है ," जान तबियत ज्यादा खराब है तो मैं आज शाम की भी छुट्टी कर लेती हूँ "..?... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 6 450 Share आचार्य सदानन्द पाल 25 Jul 2021 · 1 min read इश्क-मिचौली बिजुलिया घर-परिवार में एक पत्नी को पति के समकक्ष बराबरी का दर्ज़ा हासिल नहीं है, यहाँ तक दोनों हमउम्र के नहीं होते ! महिलाओं को पुरुषवादी सोच से बाहर आने होंगे,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 5 319 Share Pt Sarvesh Yadav 27 Jul 2021 · 4 min read छत्तर की बेटी छत्तर की बेटी गाँव का एक युवा किसान, अपनी पत्नी एक बूढ़ी माँ ,बेटा सुन्नर के साथ सुख चैन से जीवन यापन कर रहा होता है।लड़की की चाहत में फुलेनवा(किसान... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 10 599 Share Mahesh Tiwari 'Ayan' 29 Jul 2021 · 7 min read सिमरन रोहन इन तीन चार दिनो से जितना चितिंत परेशान अनमना सा था वैसा पहले कभी नहीं दिखा| मन मे तमाम शंकाएं पता नहीं क्या हुआ तबीयत ठीक नही, जाब छोड़... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 8 730 Share सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life) 29 Jul 2021 · 33 min read नई जमीन महर्षि बंद कमरे की खुली खिड़की पर अपने दोनों पैर आगे टेककर कुर्सी पर चिंतित बैठा हुआ था और आसमान को एक टक ऐसे देखे जा रहा था, जैसे आसमान... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 9 696 Share नेहा आज़ाद 30 Jul 2021 · 2 min read शब्द और अर्थ एक बार यूँ ही बैठे - बैठे शैलेन्द्र की अपने मित्र रवि से एक दार्शनिक चर्चा हुई की शब्द महत्वपूर्ण है की उसका अर्थ ,शैलेन्द्र का कहना था की शब्द... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 12 608 Share स्वर्णलता विश्वफूल 30 Jul 2021 · 2 min read आदमखोर कहानी कभी खूब वर्षा, कभी रिमझिम बारिश ! कभी सूरजमल सेठ का आकाशी प्रहार ! कभी बिजली ऐसी कि पंखे से निकलती शीतल बयार । कभी बेडशीट ओढ़ती- ओढाती है। कभी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 6 630 Share नेहा आज़ाद 31 Jul 2021 · 3 min read बूढ़ा वटवृक्ष राघव के पिताजी बहुत ही सीधे और सरल स्वभाव के थे , पेशे से वो इंजीनियर थे लेकिन रहन - सहन बहुत सादा था , ये बात अक्सर राघव को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 6 7 328 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Jul 2021 · 5 min read आन्दोलन "भारत माता की।" वातावरण में गूंजता एक स्वर। "जय।" प्रतिक्रिया स्वरुप कई स्वर एक सुर में गूंजे। "एक, दो, तीन, चार।" वह स्वर इस बार तीव्र आक्रोश के साथ। "बंद... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 672 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Jul 2021 · 7 min read तिलचट्टे वातावरण में सुबह की ठण्डक और नमी अभी कुछ शेष थी, इसलिए धूप की तपन काबिल-ए-बर्दाश्त थी। लेबर चौक पर फंसी गाड़ियों की हॉर्न की आवाज़े। फैक्ट्रियों की तरफ़ बढ़ते... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 10 814 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Jul 2021 · 13 min read एक श्वान की व्यथा हास्य व्यंग्य से भरपूर बहुचर्चित कथा एक श्वान की व्यथा कथाकार : महावीर उत्तरांचली मोती यानी "मैं" और जैकी नरकीय 'पिताजी'! (क्योंकि हमारे कर्म ऐसे हैं कि स्वर्ग मिलने से... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 20 672 Share Yashika Gupta 1 Jul 2021 · 2 min read आज माँ के ऊपर छिपकली गिर गई आम भारतीय घरों की तरह हमारे घर में भी महावारी के दौरान औरतें रसोई में खाना नहीं बनाती हैं। मान्यता है कि इस प्रक्रिया के दौरान औरतें पवित्र नहीं होतीं,... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 9 270 Share Kumar Kalhans 2 Jul 2021 · 10 min read चप्पल बुआ। चप्पल बुआ ! कितना अजीब नाम है। है ना ? पर इसमें बड़ी बात क्या है। ये पूरी दुनिया ही अजीबोगरीब चीज़ो से भरी पड़ी है। अजीब लोग , अजीब... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 10 602 Share Rajendra Gupta 3 Jul 2021 · 3 min read चूहों का सरपंच 18• चूहों का सरपंच कलिकाल में चूहों की हालत भी दिन पर दिन दयनीय होती जा रही थी ।खाने के लाले पड़ रहे थे ।जिन अनाजों पर उन्हें सर्वाधिक भरोसा... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 12 499 Share Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या) 3 Jul 2021 · 2 min read तेजाब रास्ते मे लड़को का झुंड खड़ा उसे ताक रहा था। लड़कों की गंदी नजर उस के बदन को घूर रही थी। खुद को दुप्पटे से ढंकती हुयी,वो जैसे ही निकलने... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 9 375 Share Shashi kala vyas 4 Jul 2021 · 2 min read *"करेंसी डॉलर"* *"करेंसी डॉ जुलाई के महीने में लगातार बारिश होने से घर में कुछ जगहों पे छत से पानी टपक रहा था । सामान को इधर उधर सरकाते हुए छोटे से... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 327 Share प्रशांत शर्मा "सरल" 5 Jul 2021 · 2 min read "हिसाब" हिसाब धनपत और मोहन आपस में अच्छे दोस्त थे। दोनों का जैसा नाम वैसा काम था।धनपत की इच्छा रहती कि मैं बहुत धनवान बन जाऊँ,लोग मुझे वास्तव में धनपत कहें,चारों... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 757 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Jul 2021 · 9 min read पश्चाताप सुनीता आज बहुत खुश थी। जब से उसकी बेटी सुधा और दामाद रोहित की अमेरिका से आने की खबर आई थी उसके पास जमीन पर नहीं पड़ रहे थे ।... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 16 403 Share Shashi kala vyas 7 Jul 2021 · 4 min read *"बुढ़ापे की लाठी"* *"बुढ़ापे की लाठी"* चौरासी लाख योनियों में जन्म मरण का चक्कर चलता ही रहता है एक आत्मा से दूसरी आत्माओं में प्रवेश करने के लिए ये मानव शरीर मिलता है।... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 1k Share Shashi kala vyas 8 Jul 2021 · 7 min read *"समर्पण"* *"समर्पण"* निर्मला अपने बेटे के प्रति हमेशा चिंतित रहती , क्योंकि वो कुछ कामकाज नही करता था दिनभर घर पर ही बैठे रहता इधर उधर घूमता रहता भूख लगने पर... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 7 359 Share Madhuri Markandy 9 Jul 2021 · 2 min read "बिंदिया" "आए हाय! पति तो इसका मर गया पर आज भी पता नहीं किसके नाम की ये बिंदिया लगाती है, यह कलमुँही है कलमुँही पता नहीं कहाँ-कहाँ मुँह काला करके आती... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 301 Share Abha Singh 10 Jul 2021 · 3 min read सीमा रेखा आज मैं अपनी एक कहानी सुनाती हूँ जहाँ मैने अपने फर्ज को अपना कर्म और धर्म समझा। अब आप सभी पढ़कर ये जरूर बताइएगा कि मैने सही सही किया या... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 406 Share Mahender Singh 12 Jul 2021 · 2 min read दफन रहस्य से भरपूर कहीं भ्रम, मोह, माया जाल जैसे *विपीन को जीवन में चौतरफ़ा रहस्यमयी घटनाओं से आच्छादित परतों को परत दर परत भेदने की ठान रखी हो, आने वाली... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 5 671 Share आलोक पांडेय 16 Jul 2021 · 3 min read त्याग के देवता मूर्ति साहब व्यवहार कुशल व्यक्तित्व थे। उनके विचार इतने नेक थे कि कुछ मिनट में ही लोग उनसे प्रभावित हो जाते थे। उनको जनरल मैनेजर होने का रत्ती भर घमण्ड... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 687 Share पूनम झा 'प्रथमा' 19 Jul 2021 · 9 min read मौसी माँ मौसी माँ "हेलो!.." "हेलो! समधन जी ! कैसी हैं आप ?" "बस ठीक ही हूँ । आप कहिये , आप कैसी हैं और बाकी सब घर में कैसे हैं ?"... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 3 1k Share Namita Gupta 21 Jul 2021 · 7 min read बात उस रात की बात उस रात की डॉक्टर शशांक को हांसपिटल में आए हुए अभी हुए दो ही महीने हुए थे। उसी समय कोविड के मरीजों की तादाद भी बढ़ने लगी। डा. शशांक... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 3 630 Share Rajesh vyas 22 Jul 2021 · 2 min read काम बंद है _____ कहानी "जब से आई बीमारी ,जिंदगी कईयों की हारी। सामने हमारे ,आकर खड़ी हो गई यह बेरोजगारी।। अपने आंगन में रमेश कुछ इसी प्रकार से गुनगुना रहा होता है तभी उसके... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 4 487 Share सुरेखा कादियान 'सृजना' 24 Jul 2021 · 22 min read "उसने मुझे बख़्श दिया" आज नए ऑफिस में शिवानी का पहला दिन है। साड़ी की प्लीट्स ठीक करते हुए, आईने के सामने ख़ुद को एक दौड़ती सी निगाह से निहारकर वह ऑफिस के लिए... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 576 Share शरद कुमार पाठक 25 Jul 2021 · 1 min read *कहानी घर की-! आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज कुटम परिवार की एक पेड़ की दो शाखाएं फूले फले परिवार की स्नेह भरा संयुक्त कुटुम आँगन के गुन्जार की आओ कहानी तुम्हें सुनाये निज... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 442 Share Shobha Yadav 25 Jul 2021 · 2 min read नारीशक्ति कि मिशाल फूलन देवी आज मैं #किसानपुत्री_शोभा_यादव बात करूँगी एक साधारण नारी की जो बाद मे डकैत, सासंद , चंबल कि रानी ,और महिलाओं कि मिशाल बनी। सबसे पहले आज उस बिरंगाना को कोटि-कोटि... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 2 495 Share Shashi kala vyas 25 Jul 2021 · 5 min read *"गुरु दीक्षा"* *"गुरु दीक्षा"* सुल्तानपुर आश्रम में हर साल गुरु महाराज जी गुरु पूर्णिमा पर्व पर आते ,तीन दिन रुकते प्रवचन सत्संग करते हुए गुरु दीक्षा देकर वापस अपने आश्रम लौट जाते... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 827 Share Sapna Arora 26 Jul 2021 · 2 min read “माली की बग़िया” “माली की बगिया” माली एक दिन अपनी कुटिया के आँगन में बैठा सोच रहा था,क्या सींच पाऊँगा अपनी बगिया? मिट्टी की मीठी सी खूशबू का आनंद लेते हुए मन को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 540 Share Neetu gupta 28 Jul 2021 · 5 min read बहुत किस्मत वाला हूं मैं बेटी का पिता हूं रवि और लता जीके 2 बेटियां थी यह परिवार हंसता खेलता परिवार पर कभी-कभी लता जी सोचती और रवि जी से कह दी कि हमें दो बेटियां हैं मैं बहुत... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 9 713 Share डॉ शिखा कौशिक नूतन 28 Jul 2021 · 1 min read नज़रिया शाम ढ़लने को थी.गली के नुक्कड़ पर बनी चबूतरी पर बैठी प्रौढ़ा सोमती अज़ान की आवाज़ आते ही मुंह चढ़ाकर बोली - लो अब सुनो इन मुल्ला जी की लय... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 11 515 Share Jayanti Prasad Sharma 29 Jul 2021 · 4 min read एक चोर की कथा वह एक चोर था।चोरी ही उसकी वृत्ति थी और उसी से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था यह उसके परिवार वाले भी जानते थे। चोर होने के साथ साथ... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 8 988 Share Payal Pokharna Kothari 29 Jul 2021 · 2 min read वो 30 मिनट... ये उस दिन की बात हैं जब मुझे अपने काम से बैंगलोर जाना था, औऱ मेरी 10 बजे की फ्लाइट थी । मुझे निकलने में बहुत देरी हो गई, कोई... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 6 466 Share भविष्य त्रिपाठी 30 Jul 2021 · 4 min read सेना की शक्ति एक बार की बात है,, एक नगर था धरमपुर। और वहाँ के राजा भी बड़े धर्मात्मा थे। वह मान में युधिष्ठिर,, तो दान में कर्ण के समान थे। प्रजा को... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 9 463 Share RAMESH CHANDER SHARMA 30 Jul 2021 · 2 min read कोहरा कोहरा/लघुकथा रमेश ‘आचार्य’ शाम के वक्त आसमान में हल्का कोहरा था। आज वह खुशी से फूला नहीं समा रहा था। कल नए साल का पहला दिन उसकी नौकरी का भी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 5 330 Share Payal Pokharna Kothari 30 Jul 2021 · 4 min read कर्म या हकीक़त कर्म या हक़ीक़त कुछ समय पहले की बात हैं एक गाँव में दो दोस्त रहते थे रवि औऱ किशन । उनकी दोस्ती आस पास के सभी गाँव वालों के लिए... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 5 4 440 Share goutam shaw 1 Jul 2021 · 3 min read एक बार बोल क्यों नहीं आज भी विवेक वहीं रास्ता से बाजार से घर जाना पसंद करता है क्योंकि उस रास्ते में वह एक बार किसी का झलक पाना चाहता है । कहीं दिख जा... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 12 811 Share Rahul Yadav 1 Jul 2021 · 4 min read रक्तदान और गगन सा कीर्तिमान। मौका दीजिये अपने खून को, किसी और की रगों में बहने का। ये एक लाजवाब तरीका है, कई जिस्मों में जिंदा रहने का। कहानी वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की नगरी झांसी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 11 4k Share Previous Page 2 Next