Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (7)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

अति उत्तम! ✍ नेहा ‘आज़ाद’ ✍️ ⛳ जी….. बधाई!!

1 Aug 2021 12:38 PM

Abhar sir

31 Jul 2021 07:47 PM

किसी मसले पर सबकी अलग-अलग विचारधारा इसीलिए होती है क्योंकि सबको जीवन के मर्म की बारीकियों का ज्ञान नहीं होता ! और जो किसी क्षेत्र में ज्ञानी नहीं भी होते वे भी अपने को बहुत बड़ा ज्ञानी समझ बैठते हैं और उसी अनुरूप जीवन के अहम फैसले भले बुरे तरीके से लेने लगते हैं। आपकी रचना (कहानी) का कथानक बेजोड़ है, प्रेरक है, मर्मस्पर्शी है, सादगी का रहस्य और जीवन का सार बताने में सफल हुई है और राह से भटके हुए राही को सही राह दिखलाने वाली है। आखिर लोग सारी दुनिया से ठोकरें खाने के बाद लौटकर अपने माता-पिता की छत्रछाया में ही आते हैं। दोस्तों से आघात लगने पर अपने बूढ़े वटवृक्ष की महत्ता राघव को अच्छी तरह समझ आ ही गई और जीवन के मर्म को समझते हुए अपनी सोच उसे बदलनी ही पड़ी। ज़िंदगी से सबक सीखकर ज़िंदगी जीना सीख लिया वटवृक्ष के पुत्र ने !!
बहुत सुंदर तरीके से शब्दों का चयन करते हुए सुसज्जित तरीके से कहानी का सृजन आपकी अद्भुत सृजन शीलता को ही परिलक्षित कर रहा है। शायद मैं आपकी पहली कहानी का अवलोकन कर रहा हूॅं और आपकी क्षमता के सामने निस्तब्ध हूॅं । आप विलक्षण प्रतिभा की हैं। अपना प्रयास जारी रखें । लाज़वाब प्रस्तुति ।
शुभकामना….

31 Jul 2021 08:55 PM

Apka bahut bahut abhar sir, ap logon shubhkamnaye lekhan path pe niranter chalte rahne ke liye ati awashyak hain…dhanyawad sir

Loading...