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28 Jul 2021 · 1 min read

नज़रिया

शाम ढ़लने को थी.गली के नुक्कड़ पर बनी चबूतरी पर बैठी प्रौढ़ा सोमती अज़ान की आवाज़ आते ही मुंह चढ़ाकर बोली – लो अब सुनो इन मुल्ला जी की लय सुर ताल. सोमती के इस कड़वे प्रवचन को सुनकर पास बैठी उसकी हमउम्र संगीता मुस्कुराते हुए बोली – कुछ भी कहो बहन मुझे तो ये अज़ान देने वाले मुल्ला जी बहुत भले इंसान लगते हैं. ये मुस्लिम समुदाय को तो अल्लाह की इबादत के लिए बुलाते ही हैं साथ ही हम हिन्दुओं को भी यह याद दिला देते हैं कि उठो दीपक प्रज्वलित कर लो, ईश्वर का भजन कर लो, निंदा करने को जिंदगी पड़ी है. ‘यह कहकर संगीता अपने घर की ओर चल दी और सोमती सोच में पड़ गयी कि नजरिया अच्छा हो तो हम हर धर्म से प्रेरणा लेकर अपनी आस्था को कितना दृढ़ कर सकते हैं.

5 Likes · 11 Comments · 510 Views
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