8. *माँ*
कौन कहता है ….
दोबारा मिलती नहीं “माँ”,
बहन-भाभी के रूप में….
सदा साथ रहती है ” माँ “।
काश! वक़्त से कुछ पल…
और चुरा लेती तुम ” माँ ”
तुम्हारी गोद में सिर रख कर..
कुछ पल सुकून के मै भी बिता लेती “माँ”।
पर….
तुम्हारी कमी….
मुझे ज्यादा नहीं खली,
दादी, बहन और भाभी…
इन सभी रुपों में तुम साथ रही।
बहनों ने उंगली थाम…
चलना सिखाया,
भाभी ने जिंदगी…
संवारना बताया।
गल्तियों पर टोकती…
तकलीफ में सम्भालती,
रिश्तों को दुनिया में…
निभाना सिखाती।
खुदा सलामत रखे…
मेरी भाभी- बहनों को।
अब खुशियाँ ‘मधु’ ….
इनके वजूद से है।
“माँ “तू साथ मेरे…
इन्हीं के रूप में है।
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